अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास-भाग 9
-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. ए.
पिछले भाग में हमने अजंता की गुफाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की थी। अतुल्य भारत के अद्भुत इतिहास के नौवें भाग में एलोरा की गुफाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। एलोरा की गुफाएं पर्यटकों को सबसे ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करती हैं। स्थानीय लोगों द्वारा वेरुल लेनी के नाम से जानी जाने वाली ऐलोरा गुफाएं भारत में महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद से 30 किमी दूर चालीसगांव में स्थित यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व विरासत स्थल है। एलोरा गुफाओं की प्राचीन खूबसूरती देश तथा विदेशी पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है।
गुफाएं 600-1000 सी.ई. की अवधि के जैन धर्म, बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म की कलाकृति और स्मारकों को प्रदर्शित करती हैं। गुफाओं व मंदिरों के समूह में एक कैलाश मंदिर है, यह 16वीं गुफा में स्थित एकल पत्थर की खुदाई का एक बेहतरीन नमूना है। यह दुनिया भर में सबसे बड़ी एकल अखंड रॉक खुदाई, कैलाश मंदिर, शिव को समर्पित एक रथ के आकार के स्मारक के लिए जाना जाता है। एल्लोरा गुफा में कैलाश मंदिर की खुदाई में वैष्णववाद, शक्तिवाद के अलावा दो प्रमुख हिंदू महाकाव्यों का सारांश देने वाले राहत पैनल के साथ-साथ देवी, देवताओं और पौराणिक कथाओं को प्रदर्शित करने वाली मूर्तियां स्थित हैं। इस मंदिर में बहुत से हिंदू देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां भी हैं।
ऐलोरा गुफाओं के इस समूह में कुल 100 गुफाएं हैं जिनमें से सिर्फ 34 गुफाएं ही पर्यटकों के देखने के लिए हैं। पर्यटकों के लिए खुली इन 34 गुफाओं में 5 जैन, 17 हिंदु और 12 बौद्ध धर्म की गुफाएं हैं। ये सभी गुफाएं प्राचीन काल के लोगों की अपने धर्म के प्रति धार्मिक भाव व्यक्त करती हैं। राष्ट्रकूट राजवंश ने बौद्ध और हिंदू गुफाओं का निर्माण किया, जबकि, यादव वंश ने जैन गुफाओं का निर्माण किया। इन गुफाओं के प्रार्थना धाम, तीर्थयात्रियों और साधु-संतों के आराम करने का स्थान जैसे कई उद्देश्य थे। सैकड़ों साल पुरानी इन गुफाओं की कलाकृति, शिल्पकला अत्यंत मनमोहक है। जो हमारी सभ्यता संस्कृति और इतिहास को दर्शाती है। है ना! अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास।

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