Thursday, 6 August 2020

अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास: महेश्वर

अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास-भाग 4


-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर

-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. .



'अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास' के चौथे भाग में एक ऐसी सुंदर व अद्भुत जगह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जो कला, धार्मिक, सांस्कृतिक, व ऐतिहासिक महत्व को अपनी सुंदरता के साथ कई वर्षों से समेटे हुए है। यह सुंदर अतुल्य जगह है महेश्वर। महेश्वर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खरगोन जिले में स्थित एक नगर है। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह शहर अपने सुंदर व भव्य घाट तथा माहेश्वरी साड़ियों के लिये प्रसिद्ध है। घाट पर कई अत्यंत कलात्मक मंदिर हैं जिनमें से राजराजेश्वर मंदिर प्रमुख है। आदिगुरु शंकराचार्य तथा पंडित मण्डन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्थ भी इसी जगह हुआ था। इस शहर को महिष्मती नाम से भी जाना जाता था। कालांतर में यह महान देवी अहिल्याबाई होलकर की भी राजधानी रहा है। देवी अहिल्याबाई होलकर के कालखंड में बनाए गए यहाँ के घाट अत्यंत सुंदर हैं और इनका प्रतिबिंब नर्मदा नदी में और भी खूबसूरत दिखाई देता है।

महेश्वर इंदौर शहर से 90 कि.मी. की दूरी पर "नर्मदा नदी" के किनारे बसा खूबसुरत पर्यटन स्थल है। इस नगर को म.प्र. शासन द्वारा "पवित्र नगरी" का दर्जा प्राप्त है। यह अपने आप में कला, धार्मिक, सांस्कृतिक, व ऐतिहासिक महत्व को समेटे यह नगर लगभग 2500 वर्ष पुराना है। मूलतः यह "देवी अहिल्या" के कुशल शासनकाल और उन्हीं के कार्यकाल (1764-1795) में हैदराबादी बुनकरों द्वारा बनाना शुरू की गयी "महेश्वरी साड़ी" के लिए आज देश-विदेश में जाना जाता हैं। अपने धार्मिक महत्व में यह नगर काशी के समान भगवान शिव की नगरी है। मंदिरों और शिवालयों की निर्माण श्रंखला के लिए इसे "गुप्त काशी" कहा गया है। अपने पौराणिक महत्व में स्कंध पुराण, रेवा खंड, तथा वायु पुराण आदि के नर्मदा रहस्य में इसका "महिष्मति" नाम से विशेष उल्लेख है। ऐतिहासिक महत्व में यह शहर भारतीय संस्कृति में स्थान रखने वाले राजा महिष्मान, राजा सहस्त्रबाहू (जिन्होंने रावण को बंदी बनाया था) जैसे राजाओं और वीर पुरुषों की राजधानी रहा है। बाद में होलकर वंश के कार्यकाल में इसे प्रमुखता प्राप्त हुई।

लम्बा-चौड़ा नर्मदा तट एवं उस पर बने अनेको सुन्दर घाट एवं पाषाण कला का सुन्दर चित्रण दिखाने वाला "किला" इस नगर का प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। समय-समय पर इस शहर में मनाए जाने वाले तीज-त्यौहार, उत्सव-पर्व इस शहर की रंगत में चार चाँद लगाते हैं, जिनमे शिवरात्रि स्नान, निमाड़ उत्सव, लोकपर्व गणगौर, नवरात्री, गंगादशमी, नर्मदा जयंती, अहिल्या जयंती एवं श्रावण माह के अंतिम सोमवार को भगवान काशी विश्वनाथ के नगर भ्रमण की "शाही सवारी" प्रमुख है। है ना खूबसूरत महेश्वर 'अतुल्य भारत का अतुल्य इतिहास' का अद्वितीय व अद्भुत उदाहरण?





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