Thursday, 6 August 2020

अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास: 'पुरी' (जगन्नाथ पुरी मंदिर)

अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास-भाग 5



-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर

-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. .



'अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास' के पांचवें भाग में एक ऐसी सुंदर जगह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जो धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है। यह स्थान भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर 'पुरी' (जगन्नाथ पुरी मंदिर) है। पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान जगन्नाथ (श्री कृष्ण) को समर्पित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ 'जगत के स्वामी' होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक माना जाता है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव अति प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ (श्री कृष्ण), उनके बड़े भ्राता बलराम और भगिनी सुभद्रा, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं। मध्य-काल से ही यह उत्सव बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह उत्सव भारत के अनेक कृष्ण मंदिरों में मनाया जाता है, एवं यात्रा निकाली जाती हैं।

गंग वंश के हाल ही में अन्वेषित ताम्र पत्रों से यह ज्ञात हुआ है, कि वर्तमान मंदिर के निर्माण कार्य को कलिंग राजा अनन्तवर्मन चोडगंग देव ने आरम्भ कराया था। मंदिर के जगमोहन और विमान भाग इनके शासन काल (1078 - 1148) में बने थे। फिर सन् 1197 में जाकर उड़िया शासक अनंग भीम देव ने इस मंदिर को वर्तमान रूप दिया था। मंदिर में जगन्नाथ अर्चना सन् 1558 तक होती रही। इस वर्ष अफगान जनरल काला पहाड़ ने ओडिशा पर हमला किया और मूर्तियां तथा मंदिर के भाग ध्वंस किए और पूजा बंद करा दी, तथा विग्रहो को गुप्त रूप से चिलिका झील मे स्थित एक द्वीप मे रखा गया। बाद में, रामचंद्र देब के खुर्दा में स्वतंत्र राज्य स्थापित करने पर, मंदिर और इसकी मूर्तियों की पुनर्स्थापना करवाई।

तब से यहां विस्तृत दैनिक पूजा-अर्चनाएं होती हैं। यहां कई वार्षिक त्यौहार भी आयोजित होते हैं, जिनमें सहस्रों लोग भाग लेते हैं। इनमें सर्वाधिक महत्व का त्यौहार है, रथ यात्रा, जो आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को, तदनुसार लगभग जून या जुलाई माह में आयोजित होता है। इस उत्सव में तीनों मूर्तियों को अति भव्य और विशाल रथों में सुसज्जित कर यात्रा पर निकालते हैं। यह यात्रा ५ किलोमीटर लम्बी होती है। भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद पाने के लिए इसमें लाखों लोग सम्मिलित होते हैं। इस रथ यात्रा की शोभा देखने लायक होती है। यह स्थान धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण व अद्भुत है। है ना 'अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास'





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