अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास-भाग 6
-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. ए.
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'अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास' के छठे भाग में एक ऐसे सुंदर मंदिर के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जो धार्मिक, सांस्कृतिक व अद्भुत शिल्पकला को दर्शाता है। वह स्थान है, तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित 'नटराज मंदिर'। मान्यता है कि कैलाश पति ने इस पवित्र स्थान को अपनी सभी शक्तियों से उपकृत किया है तथा इसका सृजन भी उन्हीं के द्वारा किया गया है। पुराणों के मुताबिक भगवान शिव यहां प्रणव मंत्र 'ॐ' के आकार में विराजमान हैं। यही वजह है कि आराधक इसे सबसे अहम मानते हैं। चिदंबरम भगवान शिव के पाँच क्षेत्रों में से एक है। इसे शिव का आकाश क्षेत्र कहा जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश) से मानव शरीर का निर्माण हुआ है। नटराज मंदिर को 'अग्नि मूल' के नाम से भी जाना जाता है। कई उपासक मानते हैं कि भोलेनाथ यहाँ ज्योति रूप में प्रकट हुए थे। भगवान शिव के अन्य चार क्षेत्र १.कालाहस्ती (आंध्र प्रदेश) अर्थात् वायु, २.कांचीपुरम यानी पृथ्वी, ३.तिरुवनिका- जल और ४.अरुणाचलेश्वर (तिरुवनामलाई) अर्थात् अग्नि शामिल हैं।
मंदिर के केंद्र और अम्बलम के सामने भगवान शिवकाम सुंदरी (पार्वती) के साथ स्थापित हैं। मंदिर की संरचना अपने आप में आकर्षक और विशिष्ट है। चार सुंदर और विशाल गुंबदों ने संपूर्ण मंदिर को भव्य स्वरूप प्रदान किया है। मंदिर की आंतरिक साज-सज्जा, शिल्पकारी और इसका व्यापक क्षेत्रफल इसे अनन्य रूप देते हैं। शिव के नटराज स्वरूप के नृत्य का स्वामी होने के कारण भरतनाट्यम के कलाकारों में भी इस जगह का खास स्थान है। मंदिर की बनावट इस तरह है कि इसके हर पत्थर और खंभे पर भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएँ अंकित हैं।
मंदिर शिव क्षेत्रम के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ भगवान गोविंदाराज की प्रतिमा भी है, जो शिव के बिलकुल निकट स्थापित हैं। मंदिर में एक बहुत ही खूबसूरत तालाब और नृत्य परिसर भी है। जहां हर साल नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें देशभर से कलाकार हिस्सा लेते हैं। यह स्थान धार्मिक, सांस्कृतिक व उत्कृष्ट शिल्पकला को दर्शाता है। है ना 'अतुल्य भारत का अद्भुत इतिहास'।

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