Friday, 28 June 2019

गृहिणी: जिसका सारा घर हो ऋणी | Hindi

गृहिणी: जिसका सारा घर हो ऋणी


- सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
- कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू.एस..




            दोस्तों, आजकल के ज़माने में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। महिलाएं भी बाहर निकल कर नौकरी कर रही हैं। फिर चाहे वह अपना कैरियर बनाने के लिए या राष्ट्र उन्नति में योगदान देने के लिए या अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए हो। समाज की यह प्रगति व महिलाओं का बाहर जाकर कार्य करना सराहनीय है । परंतु बहुत-सी ऐसी महिलाएं हैं जो स्वयं अपनी खुशी से गृहिणी बनना स्वीकार करती हैं। जिनके लिए घर व परिवार को संभालना प्रथम कर्तव्य होता हैै। और यदि यह कहा जाए कि घर संभालना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है, तो शायद गलत नहीं होगा। दुनिया में सिर्फ़ यही एक ऐसा हुनर है जिसमें 24 घंटे सातों दिन मेहनत करना पड़ती है वह भी बिना कोई वेतन और बिना कोई छुट्टी लिए। गृहिणी के परिश्रम को सामान्यतः घर का नियमित काम-काज कहकर विशेष महत्व नहीं दिया जाता। कई बार ग्रहणीयों से यह प्रश्न भी पूछा जाता है कि, "तुम दिन भर घर में बैठकर क्या करती हो?" जबकि इस बात का जवाब वे लोग स्वयं जानते हैं कि एक गृहिणी के बिना घर ठीक उसी तरह नहीं चल सकता जिस तरह एक सारथी के बिना रथ।
          एक गृहिणी एक ही दिन में ना जाने कितने ही किरदार निभाती है। वह कभी पत्नी होती है तो कभी मां होती है। वह घर के बुजुर्गों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहती है। घर की साफ़-सफ़ाई करती है और-तो-और कई ऐसे छोटे-छोटे काम भी कर देती है जिनकी घर के अन्य कामों के साथ कोई गिनती नहीं होती। सभी का मन रख कर सभी के लिए नि:स्वार्थ भाव से हर काम करती रहती है। यदि कोई मेहमान आए तो प्रसन्न मन से उनका स्वागत करती है। माना कि एक गृहिणी की दुनिया उसके घर और परिवार के लोगों तक ही सीमित होती है परंतु वह अपनेपन से सभी को एक दूसरे से जोड़े रखती है। कभी वह अपने सपनों, अपनी आकांक्षाओं को अपने कर्तव्य के आगे झुका कर कर्तव्य को सर्वोपरि रख उन्हें पूर्ण करने से कभी नहीं चुकती। 
         गृहिणी तो घर की लक्ष्मी, सरस्वती व अन्नपूर्णा होती है। जिस तरह वह घर के अलग-अलग कोनों में थोड़े-थोड़े पैसे आपातकालीन परिस्थितियों के लिए बचा कर रखती है, यही उसकी अपने परिवार के लिए सबसे बड़ी आर्थिक मदद होती है। जितना ज्ञान उस में समाया हुआ है, जो संस्कार वह अपने साथ लाई है सब कुछ अपने बच्चों को सिखाती है व सभी के लिए प्रसन्न मन से सभी का मनपसंद भोजन बनाती है। त्याग और बलिदान की मूर्ति नारी को कहा जाता है जो सही मायने में साक्षात एक गृहिणी के रूप में ही नज़र आता है। एक परिवार में एक गृहिणी की क्या अहमियत होती है यह समझना ज्यादा कठिन कार्य नहीं है। परंतु उसके किए गए काम को कम आंकना, यह एक गृहिणी के अस्तित्व और अस्मिता को नजरअंदाज कर देने जैसा ही है। आजकल हाउसवाइफ या गृहिणी शब्द के मायने बदल कर होम मेकर हो गए हैं जो अपने त्याग और नि:स्वार्थ मन से सभी की इच्छाओं का सम्मान करते हुए एक मकान को घर बनाती है। वह सच्ची गृहिणी होती है यानी कि बेस्ट होम मेकर। उसके द्वारा परिवार वालों के लिए किए गए हर कार्य के लिए हर एक सदस्य ऋणी होता है जिसका वह कोई मोल नहीं लगाती। किसी भी गृहिणी को कभी भी खुद को कम नहीं आंकना चाहिए। उन्हें तो खुद पर गर्व होना चाहिए।

कुछ पंक्तियां स्वयं एक गृहिणी की जुबानी-

मैं नहीं मांगती किसी से अपने कामों का ब्याज,
फिर भी लोग मुझसे पूछते हैं,
तुम करती क्या हो सारा दिन,
ना कोई काम न कोई काज?

आज बतला दूं सबको मैं,
फिर ना करना यह सवाल,
न जाने कितने संबंधों में बंधी हूं मैं,
किसी की पत्नी, किसी की बहू,
तो किसी की मां हूं मैं।

मुझसे ही तो घर में संध्या और बाती है,
मैं हूं तो पूजा की थाली है,
मुझसे रिश्तों के हैं अनुबंध,
तो पड़ोसियों से भी हैं अच्छे संबंध।

घर की घड़ी हूं मैं,
सोना, जागना, खाना सब मुझसे है।
रोशनी की खिड़की हूं मैं,
तो खुशियों का द्वार भी मुझसे है।

त्योहार कैसे मनेंगे मुझ बिन?
मैं ही तो दीवाली का दीपक,
होली के सारे रंग,
विजय की लक्ष्मी,
और रक्षा का सूत्र हूं।

वैसे गृहिणी शब्द तो है बड़ा आम,
पर इसका अर्थ है बड़ा खास,
जिसका सारा घर हो ऋणी,
वही होती है "गृहिणी"



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