Friday, 5 July 2019

आरोग्यम् धनसंपदा | Hindi


आरोग्यम् धनसंपदा


-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया,साउथ कैरोलिना, यू. एस. .



           स्वस्थ, सुंदर और अच्छा शरीर किसे नहीं चाहिए? प्रत्येक व्यक्ति चाहता हैं कि वह सदैव स्वस्थ व निरोगी रहे। परंतु क्या इसके लिए हम कोई प्रयत्न करते हैं? आजकल की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में किसी को भी अपने स्वास्थ्य या अपनी सेहत पर ध्यान देने का समय ही नहीं है। सुबह से लेकर रात तक हर कोई अपने कामकाज के लिए इधर से उधर भागते ही रहता है। ज्यादातर समय कंप्यूटर/मोबाइल के सामने बैठकर काम करने से अनेकों बीमारियों को हम जाने अनजाने में आमंत्रण देते हैं। मनुष्य पैसा कमाने के लिए भागदौड़ करता रहता है परंतु 'हेल्थ इज वेल्थ' अर्थात् 'हमारा अच्छा स्वास्थ्य ही हमारी असली पूंजी है' यह भूल जाता है। यदि स्वास्थ्य अच्छा है तो मनुष्य कोई भी कार्य सरलता से पूर्ण कर सकता है। प्रश्न यह उठता है कि शरीर को स्वस्थ किस तरह बनाया जाए?
             स्वस्थ शरीर का मतलब व्यायाम करने भर से नहीं है। स्वस्थ शरीर के लिए नियमित दिनचर्या का होना, व्यवस्थित व पौष्टिक आहर का होना अत्यंत आवश्यक है। कसरत कर लेने से हम हमारे शरीर में मौजूद अतिरिक्त वासा (फेट्स) को तो कम कर सकते हैं तथा शरीर को फुर्तीला व लचीला बना सकते हैं। परंतु पौष्टिक आहार व नियमित दिनचर्या से हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो हमें पूर्ण रूप से स्वस्थ व निरोगी बनाती है। मनुष्य के शरीर के अंग एक मशीन की तरह काम करते हैं। जैसे मशीन का रखरखाव ठीक तरह से ना किया जाए तो जल्द ही उसके कलपुर्जे खराब होने लगते हैं, ठीक वैसे ही यदि मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखने के लिए कोई प्रयत्न नहीं करेगा तो मशीन की तरह मनुष्य के अंग भी खराब होने लगेंगे। मशीन के कलपुर्जे तो बाज़ार में आसानी से उपलब्ध है परंतु मनुष्य के शरीर के अंगों का क्या? वे अनमोल हैं। शरीर के प्रत्येक अंग का कुछ न कुछ महत्वपूर्ण कार्य होता है जिससे मनुष्य का शरीर चलता है। जैसे, यदि मनुष्य सुबह का नाश्ता नहीं करता है तो उसका सीधा असर मनुष्य के पेट या उसके आमाशय पर पड़ता है। यदि मनुष्य चौबीस घंटों में दस ग्लास पानी नहीं पीता तो इसका विपरीत परिणाम किडनी पर दिखाई पड़ता है। यदि देर रात तक जागने से अर्थात् दस बजे तक नहीं सोने से और सूर्योदय तक नहीं उठने से गाॅल ब्लैडर पर असर पड़ता है। ठंडा व बासी भोजन खाने से छोटी आत को नुकसान होता है। ज्यादा तैलीय, मसालेदार व मांसाहारी भोजन खाने से बड़ी आत पर विपरीत असर होता है। जब मनुष्य सिगरेट और बीड़ी का सेवन करता है तो उसके धुएं से तथा गंदे व प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से फेफड़ों पर असर होता है। भारी मात्रा में तला भोजन, जंग और फास्ट फूड खाने से लीवर खराब होने का डर होता है। ज्यादा नमक व कोलेस्ट्रॉल वाला भोजन करने से हार्ट अटैक की संभावना अधिक बढ़ जाती है। जब मनुष्य स्वाद के चक्कर में मीठा अधिक खा लेता हैं तो अग्न्याशय पर बुरा असर होता है। यदि अंधेरे में मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन की लाइट में काम करता हैं तो आंखों पर विपरीत परिणाम होता है। और यदि सदैव नकारात्मक चिंतन करता हैं तो मस्तिष्क पर बुरा असर होता है। अतः वह सभी कार्य करने से बचें जिससे शरीर पर कुछ विपरीत परिणाम हो और शरीर अस्वस्थ हो।
         साधारणतः रात्रि का समय शरीर के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस समय शरीर विष-हरण की प्रक्रिया से गुज़रता है। अर्थात् शरीर का प्रत्येक अंग मनुष्य की निंद्रा अवस्था के दौरान अपना कार्य करते हैं और उनके कार्य करने की अवधि निश्चित होती है। रात्रि दस बजे तक मनुष्य को सो जाना चाहिए। क्योंकि रात्रि ग्यारह से तीन के दौरान शरीर में रक्त संचार का अधिक भाग लीवर की ओर केंद्रित होता है और लीवर शरीर द्वारा दिनभर में एकत्रित विषाक्त पदार्थों को निष्क्रिय कर खत्म करता है। मनुष्य जितनी देर से सोता हैं शरीर को विष मुक्त करने का समय उतना ही कम होता जाता है और यदि मनुष्य रात्रि तीन बजे के बाद सोता हैं तो शरीर को विष मुक्त होने के लिए कोई समय ही नहीं बचता और यदि इसी तरह अनियमितता से सोना जारी रखते हैं तो समय के साथ यह विषाक्त पदार्थ मनुष्य के शरीर में जमा होने लगते हैं। प्रातः तीन से पांच के बीच रक्त संचार का केंद्र मनुष्य के फेफड़ों में होता है। इस समय मनुष्य को ताज़ी हवा में सांस लेना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए। जिससे शरीर को अच्छी ऊर्जा व ताज़गी प्राप्त होती है। प्रातः पांच से सात के बीच रक्त संचार का केंद्र मनुष्य की बड़ी आत की ओर होता है। यह शौच के लिए उत्तम समय है। सुबह सात से नौ के बीच रक्त संचार का केंद्र मनुष्य का पेट या आमाशय पर होता है। यह समय नाश्ता करने के लिए उत्तम होता है। नाश्ता दिन का सबसे ज़रूरी आहर है। ध्यान रहे इसमें सारे आवश्यक पोषक तत्व सम्मिलित हो। सुबह का नाश्ता न करना भविष्य में कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनता है। 
         सुबह के नाश्ते व रात के खाने में पूरे बारह घंटे का अंतर होना चाहिए। और मनुष्य को दिन में चार बार चार घंटे के अंतराल में पौष्टिक आहार भोजन व नाश्ते के रूप में खाना चाहिए। रात का खाना सोने के दो घंटे पहले खाना चाहिए अर्थात यदि रात्रि दस बजे सोना है तो आठ बजे के पहले रात्रि भोजन कर लेना चाहिए। अतः इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित दिनचर्या तय कर नियमित व्यायाम कर पौष्टिक आहर लेकर मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ व निरोगी रख सकता है। इस बात की प्रेरणा मनुष्य को हर किसी को देनी चाहिए क्योंकि कुछ व्यक्तियों का यह मानना होता है इन सब बातों से क्या होता है? हम कुछ नहीं करते हैं फिर भी तो स्वस्थ है? वह इसी विचारधारा के कारण वे अपने शरीर व अपने स्वास्थ की ओर ध्यान नहीं देते व अनेक रोगों को आमंत्रण देते हैं। एक निश्चित आयु पार कर लेने के बाद शारीरिक जांच नियमित रूप से करवाते रहना चाहिए। स्वास्थ्य संबंधी प्रत्येक बातों को गंभीरतापूर्वक समझकर अपनी व्यस्त दिनचर्या में सम्मिलित करने का प्रयत्न अवश्य करना चाहिए क्योंकि प्रत्येक मनुष्य को अपने स्वास्थ्य का ध्यान स्वयं ही रखना होता है। 

हमेशा स्वस्थ दिनचर्या अपनाइए और सदैव स्वस्थ व निरोगी रहिए क्योंकि-

"स्वस्थ शरीर मैं ही ईश्वर का वास होता है।"



2 comments:

  1. निरोगी काया का जीवन मै महत्व और उसे बरकरार रखने के लिए दिनचर्या मै क्या आवश्यक क्रिया होती है उसका बोहोत ही अच्छा वर्णन । Keep it up......SHAISHAV BHATNAGAR

    ReplyDelete
  2. बिल्कुल सही है भक्ति आरोग्य ही सबसे बड़ा धन है 👍

    ReplyDelete