Friday, 26 July 2019

कोई भी कार्य बड़ा या छोटा नहीं होता | Hindi


कोई भी कार्य बड़ा या छोटा नहीं होता




-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. .



           इस संसार में जिस प्रकार प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे से भिन्न दिखते हैं। उनकी आदतें भिन्न होती है। उसी प्रकार मनुष्य की कार्यक्षमता अथवा कार्य भी अलग-अलग होते है। तथा वह व्यक्ति स्वयं के कार्य में पूर्णतः निपुण व कार्य संबंधित ज्ञान रखता है। प्रत्येक मनुष्य की रुचि व विचार अलग होने के कारण उन्हें क्या कार्य करना है वे स्वयं ही इस बात का निर्णय लेते हैं। किसी भी प्रकार का कार्य कभी छोटा या बड़ा नहीं होता। यदि प्रत्येक मनुष्य यही विचार करने लगे कि उसके द्वारा किए जाने वाला कार्य ही श्रेष्ठ है और अन्य लोगों द्वारा किया जाने वाला कार्य उसके कार्य से कम है अथवा तुच्छ है तो मनुष्य की यह सोच पूर्णतः गलत है। यदि मनुष्य इसी तरह विचार करता रहेगा तो वह कभी भी दूसरों का आदर नहीं कर पाएगा और उनके कार्यों को तुच्छ समझ सदैव उनकी आलोचना व निंदा ही करता रहेगा।
           इस बात को यदि एक छोटी-सी कहानी के माध्यम से समझे तो शायद इस बात का मनुष्य एहसास कर पाएंगा कि कोई भी कार्य या कम आसान नहीं होता। कहानी कुछ इस प्रकार हैं-
एक मोहन नाम का मैकेनिक एक गराज चलाता था। वैसे तो मोहन एक अच्छा आदमी था। लेकिन उसके अंदर एक कमी थी। वह अपने काम को बड़ा और दूसरों के काम को हमेशा छोटा ही समझता था। एक बार एक हार्ट सर्जन अपनी लग्जरी कार लेकर उसके यहां सर्विसिंग करने पहुंचे। डॉक्टर से बातचीत करने के दौरान मोहन को पता चला कि यह कस्टमर एक हार्ट सर्जन है। तो उसने तुरंत पूछा डॉक्टर साहब," मैं यह सोच रहा था कि हम दोनों का काम एक जैसा ही है।" "एक जैसा! वह कैसे?" सर्जन ने थोड़ा अचरज से पूछा। "देखिए जनाब", मोहन कार के कॉम्प्लिकेटेड इंजन पर काम करते हुए बोला," यह इंजन कार का दिल है। मैं चेक करता हूं कि यह कैसे चल रहा है। मैं इसे खोलता हूं। इसके वाल्स फिट करता हूं। अच्छी तरह से सर्विसिंग कर के इसकी प्रॉब्लम्स खत्म करता हूं और फिर वापस जोड़ देता हूं। आप भी कुछ ऐसे ही करते हैं, क्यों??" "हम्म", सर्जन ने हामी भरी। "तो यह बताइए कि आपको मुझसे दस गुना अधिक पैसे क्यों मिलते हैं, काम तो आप भी मेरे जैसा ही करते हो?" मोहन ने खींचते हुए डॉक्टर की आलोचना करते हुए और अपने काम की डॉक्टर के काम से तुलना करते हुए यह प्रश्न किया। सर्जन ने एक क्षण सोचा और मुस्कुराते हुए बोला, "जो तुम कर रहे हो उसे चालू इंजन पर करके देखो समझ जाओगे।" मोहन को इससे पहले किसी ने ऐसा जवाब नहीं दिया था। अब वह अपनी गलती समझ चुका था।
         दोस्तों, हर एक काम का अपना महत्व होता है। अपने काम को बड़ा समझना ठीक है, पर दूसरों के काम को कभी-भी छोटा नहीं समझना चाहिए। व्यक्ति औरों के काम के बारे में बस ऊपरी तौर पर जानता हैं। लेकिन उसे करने में आने वाली कठिनाई के बारे में उसे कुछ नहीं पता होता। इसलिए किसी के काम को छोटा नहीं समझना चाहिए और उसका आदर करना चाहिए। दूसरों के कार्यों को छोटा ना समझना और अपनी तुलना किसी से नहीं करना ही मनुष्य को असल जिंदगी में महान आचरण वाला बनाता है।


कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता,
हर इंसान अपना काम बड़ी शिद्दत से करता है,
किसी के काम को या उस इंसान को मनुष्य की सोच ही छोटा या बड़ा बनाती है।





2 comments:

  1. बोहत अच्छा लिखा है भक्ति यह बिल्कुल सही है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है बल्कि हमारी सोच उसे छोटा या बड़ा बनाती है
    ऎसे ही आगे भी लिखाती रहो

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  2. अति सुंदर, सभी का अपना अपना महत्व है, चींटी का अपना महत्व है हाथी का अपना अलग महत्व है।
    उसि प्रकार सभी मनुष्यों का अपना अलग महत्व है किसी की किसी से तुलना नहीं की जा सकती है।

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