योग - जीवन जीने की कला
-सौ.
भक्ति
सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया,साऊथ
कैरोलिना,
यू.
एस.
ए.
दोस्तों,
आज
की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में
मनुष्य बस इधर से उधर दौड़ता
रहता है। तनाव,
थकान
तथा चिड़चिड़ाहट जन्म लेकर
मनुष्य की जिंदगी को अस्तव्यस्त
करते जा रहे हैं। ऐसे में जीवन
को तनावमुक्त,
स्वस्थ
तथा ऊर्जावान बनाए रखने के
लिए योग एक उत्तम आधार है। योग
से जीवन को गति मिलती है। योग
भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम
पहचान है। पूरे विश्व को योग
के बारे में भारत देश द्वारा
ही ज्ञान मिला है। संसार की
प्रथम पुस्तक ऋग्वेद में कई
स्थानों पर योगिक क्रियाओं
के विषय में उल्लेख मिलता है।
भगवान शंकर के बाद वैदिक
ऋषि-मुनियों
से ही योग का प्रारंभ माना
जाता है। तथा कई महान अनुभवी
व्यक्ति व योग गुरुओं द्वारा
इसे संपूर्ण विश्व में विस्तारित
किया जा रहा है।
योग
जीवन जीने की कला है। योग अपने
आप में एक पूर्ण चिकित्सा
पद्धति है जिससे कई प्रकार
के बड़े-बड़े
असाध्य रोग भी ठीक हो जाते
हैं। प्राचीन जीवन पद्धति को
अपने साथ लिए योग आज के परिवेश
में हमारे जीवन को स्वस्थ और
खुशहाल बना सकता है। आज के इस
प्रदूषित वातावरण में योग से
बढ़कर कोई और औषधि नहीं है।
बल्कि योग के अनेक आसन शारीरिक
एवं मानसिक रूप से हमें स्वस्थ
रखते हैं। उदाहरण के तौर पर
योगासन हमारे ब्लड प्रेशर को
सामान्य करते हैं,
तनाव
को दूर करते हैं,
शरीर
को स्वस्थ बनाते हैं,
मन
को शांत करते हैं,
एकाग्रता
बढ़ाते हैं,
आत्मविश्वास
जगाते हैं,
अनेकों
बीमारियों से बचाते हैं तथा
जीवन के लिए संजीवनी का काम
करते हैं। आज कंप्यूटर की
दुनिया में दिनभर उसके सामने
बैठे-बैठे
काम करने से अनेक लोगों को
तनाव,
कमर
दर्द एवं गर्दन दर्द की शिकायत
एक आम बात हो गई है। ऐसे में
योग मनुष्य के दर्द का निवारण
करने के लिए उत्तम औषधि है।
24
घंटे
में से महज कुछ मिनट का ही
प्रयोग यदि योग में उपयोग किया
जाए तो मनुष्य अपनी सेहत को
चुस्त-दुरुस्त
रख सकता है। फिट रहने के साथ
ही योग मनुष्य को पॉजिटिव
एनर्जी भी देता है । योग से
शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता
का विकास होता है। यह हमारे
शारीरिक,
मानसिक
और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के
लिए बहुत लाभदायक है। योग के
माध्यम से आत्म संतुष्टि,
शांति,
ऊर्जा,
आत्मविश्वास
तथा चेतना की अनुभूति प्राप्त
होती है। जिससे मनुष्य का जीवन
तनाव मुक्त रहते हुए हर दिन
सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे
बढ़ता है। योग विज्ञान में
जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात
किया गया है।
भारत
देश की इस योग परंपरा को आज
विश्व भी अपना रहा है। जिसका
परिणाम है 21
जून
को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
मनाए जाने के लिए संयुक्त
राष्ट्र में प्रधानमंत्री
श्री नरेंद्र मोदी द्वारा
रखे गए प्रस्ताव को 177
देशों
ने अत्यंत सीमित समय में पारित
कर दिया और 21
जून
2015
को
प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग
दिवस पूरी दुनिया में बड़े
उत्साह के साथ मनाया गया और
प्रत्येक वर्ष मनाया जा रहा
है। आजकल जिस तरह का खान-पान
और रहन-सहन
हो गया है ऐसे में सभी भारतवासियों
को योग को अपनाना चाहिए व अपने
भारतीय गौरव को एक स्वस्थ
पैगाम से गौरवान्वित करना
चाहिए।
गीता
में लिखा है,
"योग
स्वयं की स्वयं के माध्यम से
स्वयं तक पहुंचने की यात्रा
है।"
आप सभी को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) की हार्दिक शुभकामनाएं

👍बिल्कुल सही है अपने आप को शारीरिक व मानसिक रूप से चुस्त दुरुस्त रखने के लिए योग एक सर्वोच्च साधन है.
ReplyDeleteधन्यवाद बाबा 🙂🙏
Deleteभारत में तो ये राजनीति का विषय है । कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की जिन राज्यों में सरकार सरकारें हैं वहां कोई शासकीय आयोजन नहीं हुए और ना ही स्कूल कॉलेजों में योग दिवस मानने के निर्देश है दिए गए । मध्य प्रदेश ही देख लीजिए । भाजपा के कार्यकाल में ऐसे निर्देश दिए जाते थे । राजस्थान में भी वसुंधराजी ने सामूहिक योग का आयोजकों करवाया वहीं कांग्रेस सरकार ने कोई आयोजन नहीं करवाया । भारतीय संस्कृति अब भाजपा की ही रह गई बाकी सब विरोधी हो गए । अत्यंत दुख का विषय है ।
ReplyDeleteआप का कथन बिलकुल सही है सर 🙂🙏
Deleteयोग - जीवन जीने की कला
ReplyDeleteबिल्कुल सही
थैंक यू डियर 🙂
Deleteबढ़िया। इतने सारे गुण होने के कारण इसे योग कहते हैं, घटाव नहीं।योग के बारे में अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteधन्यवाद बाबा 🙂🙏
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