घटते
पेड़,
बढ़ती
परेशानियां
-सौ.
भक्ति
सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया,
साउथ
कैरोलिना,
यू.
एस.
ए.
आजकल
देश के जिस भी कोने से समाचार
आते हैं सभी में एक ही मुख्य
बात सुनने में आती है कि फलानी
जगह पर रिकॉर्ड तोड़ भीषण
गर्मी पढ़ रही है। वाकई कई
शहरों में तापमान 50°
तक
या 50°
पार
भी पहुंच रहा है। क्या कभी
सोचा है कि इस भीषण गर्मी के
लिए कौन ज़िम्मेदार है?
कहीं
आपका जवाब तेज़ धूप तो नहीं
है ना?
और
कतई होना भी नहीं चाहिए क्योंकि
इस बदलते पर्यावरण,
बढ़ती
गर्मी,
घटते
जल स्तर के लिए मात्र मनुष्य
ही ज़िम्मेदार है। पिछले कई
वर्षों से यह देखने में आया
है कि सर्दी के मौसम में बहुत
अधिक सर्दी पड़ती है तो गर्मी
के मौसम में भीषण गर्मी और
बरसात के मौसम में औसत से भी
कम बारिश!
बिल्कुल
ठीक पहचाना आपने। इसका प्रमुख
कारण ग्लोबल वार्मिंग है।
परंतु ग्लोबल वॉर्मिंग का
प्रमुख कारण क्या है?
यह
वाकई एक बड़ा प्रश्न है। इस
बात पर समय रहते चिंतन करना
अति आवश्यक है। अपनी आकांक्षाओं
को पूर्ण करने के लिए व अपनी
सुविधा हेतु मनुष्य ने पेड़ों
को बेहिसाब काटना शुरू कर
दिया। इस बढ़ते तापमान का और
प्रकृति में हो रहे भयावह
बदलाव का मूलभूत कारण है घटते
पेड़।
मनुष्य
द्वारा पेड़ों को काटने के
निम्न कारण है जैसे बढ़ती
आबादी,
शहरी
विकास,
पेड़ों
की लकड़ियों द्वारा फर्नीचर
बनाना तथा अपनी सुख-सुविधाओं
के लिए अन्य प्रकार से पेड़ों
की लकड़ियों का उपयोग करना
आदि। ऐसा करते समय मनुष्य ने
कभी नहीं सोचा कि भविष्य में
इन सभी बातों का प्रकृति पर
क्या असर पड़ेगा?
आने
वाली पीढ़ी को इसके भयंकर
परिणाम भी भुगतने पड़ सकते
हैं। बस अपने स्वार्थ व अपनी
सुविधा की ओर मनुष्य दौड़ते
चले जा रहा है। बिना भविष्य
की परवाह किए वर्षों से प्रकृति
से खिलवाड़ करता आ रहा है।
तेज़ी से बढ़ती गाड़ियां-फैक्ट्रियां
और उसी तेज़ी से घटते हुए पेड़
बढ़ते हुए प्रदूषण का प्रमुख
कारण हैं। पेड़ों के बेहिसाब
कटने का सीधा असर ग्लोबल
वॉर्मिंग अर्थात् धरती के
बढ़ते तापमान के रूप में दिखाई
दे रहा है। दूसरी ओर बारिश पर
भी पेड़ों के कम होने से असर
पड़ रहा है व जलस्तर दिन-प्रति-दिन
कम होता जा रहा है जिसका असर
सभी जीवों के जीवन पर हो रहा
है। घटते पेड़ों के परिणाम
स्वरूप ही मिट्टी की गुणवत्ता
कम होती जा रही है। जिसका
दुष्परिणाम कृषि पर भी नज़र
आ रहा है। पेड़ों को काटते समय
मनुष्य केवल स्वत:
के
विकास के बारे में सोचता है
और यह भूल जाता है कि वह प्रकृति
और अपने आने वाली पीढ़ी का
कितना बड़ा नुकसान करने जा
रहा है।
दोस्तों,
ज़रा
याद कीजिए हमारे बचपन में हम
पेड़ों पर चढ़कर फल तोड़ा करते
थे। उछल-कूद
किया करते थे। पेड़ों की छांव
में बैठकर पिकनिक मनाया करते
थे। परंतु आज की नई पीढ़ी को
शहरों में जगह और पेड़ों की
कमी की वजह से यह अनुभव नहीं
मिल पाता है। मनुष्य ने अपने
भूतकाल में जो यह गलती की है
उसे पूर्ण प्रकार से सुधारना
थोड़ा कठिन है। परंतु इसे कुछ
हद तक सुधारने का प्रयत्न हम
सभी मिलजुलकर कर सकते हैं।
पेड़ों के महत्व के बारे में
मुझे यहां विस्तृत जानकारी
देने की आवश्यकता नहीं है।
पेड़ प्रकृति का सबसे बड़ा
तोहफा है समूची सृष्टि को।
पेड़ों में कई प्रकार के औषधि
गुण होते हैं जिसे कई बड़ी
बीमारियों को ठीक करने के लिए
उपयोग में लाया जाता है। प्राचीन
काल से ही मनुष्य पेड़ों को
उसकी महानता,
पवित्रता
व गुणों के कारण पूजते चले आ
रहे हैं। घने पेड़ों की छांव
तो सभी को चाहिए परंतु पेड़
कोई नहीं लगाता। मनुष्य अस्पताल
में पैसे देकर खरीदी हुई ऑक्सीजन
के लिए डॉक्टर को धन्यवाद भी
देते हैं परंतु फ्री की ऑक्सीजन
देने वाले पेड़ों की कद्र नहीं
करते।
पेड़ों
का संरक्षण एवं वृक्षारोपण
अत्यंत आवश्यक है क्योंकि
पेड़ों पर ही समस्त मनुष्य व
अन्य जीवों का जीवन आश्रित
है। प्राणवायु,
उपजाऊ
मिट्टी,
बारिश
के रूप में जल,
धरती
पर तापमान में संतुलन -
यह
सब पेड़ों के माध्यम से प्रकृति
की समस्त जीवों को अप्रतिम व
अतुल्य देन है। आप सभी से निवेदन
है कि अपने घरों में और आसपास
आने वाले बारिश के मौसम में
अधिक-से-अधिक
पेड़ लगाएं जिससे कम-से-कम
देखरेख में बारिश के पानी में
ही वे पनप कर बड़े हो सकें।
सभी को एक छोटा-सा
प्रण लेना चाहिए की अपने
प्रत्येक जन्मदिवस पर एक पेड़
अवश्य रोपित करें व मित्रों
एवं परिजनों को किसी अन्य
प्रकार की भेंट देने के स्थान
पर वृक्षारोपण करने हेतु पौधे
भेंट में दे। आखिर हम हमारी
प्रकृति को भविष्य के संकट
से उबारने के लिए इतना तो कर
ही सकते हैं।
आज समय की मांग यही,
सब
मिलकर पर्यावरण बचाओ
मिट्टी,
जल,
वायु,
अन्य
प्राणी आदि
सब
है पर्यावरण हमारे,
जीव
जगत के मित्र सभी
जीवन
देते सारे।
इन
से अपना नाता जोड़ो
इनको
अपना मित्र बनाओ,
तब
तक जीव है जगत में
जब
तक जग में पानी,
जब
तक वायु शुद्ध होती है
सौंधी
मिट्टी रानी।
तब
तक मानव का जीवन है,
यह
सब को समझाओ,
आज
समय की मांग यही
सब
मिलकर पर्यावरण बचाओ।
पर्यावरण दिवस (5 जून) की शुभकामनाएं।

बोहत बढ़िया लेख है, यह सच है कि यदि पेड़ो की संख्या में वृद्धि नहीं की गयी तो आगे पता नहीं क्या होगा, हर व्यक्ति को प्रति वर्ष कम से कम दो पेड़ लगा कर उन्हें बड़े करना चाहिये
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