Friday, 21 February 2020

साधु की झोपड़ी | Hindi

साधु की झोपड़ी


       - सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
- कोलम्बिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. ए.

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एक गांव में दो साधू रहते थे। दोनों एक साथ एक ही झोपड़ी में रहा करते थे। दिन भर भिक्षा मांगते थे और मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना किया करते थे। एक दिन गांव में आंधी-तूफ़ान के साथ बहुत मूसलाधार बारिश हुई, जब शाम को दोनों साधु घर वापस आए तो उन्होंने देखा मुसलाधार बारिश के कारण उनकी आधी झोपड़ी टूट गई थी।
      यह देख पहला साधु बहुत क्रोधित हुआ और भगवान को कोसने लगा कि भगवान हमेशा उसके साथ गलत ही करते हैं। आगे भगवान को कोसते हुए उसने कहा कि वह दिन भर उनकी पूजा-अर्चना करता रहता है फिर भी उन्होंने उसकी ही झोपड़ी क्यों टूटने दी? गांव में कितने ही चोर-लुटेरे, झूठे और मक्कार लोग है उन्हें कोई नुकसान क्यों नहीं पहुंचाया? बिचारे साधु की झोपड़ी क्यों टूटने दी? आगे वह भगवान से शिकायत करता है कि भगवान उससे प्रेम ही नहीं करते जबकि वह दिन भर उन्हीं की पूजा करता रहता है। झोपड़ी तोड़ना भी भगवान का ही काम है। कहकर शोक मनाते बैठा था। 
      तभी दूसरे साधु ने वहां आकर अपनी आधी टूटी झोपड़ी देखी और खुश होकर नाचने लगा। ईश्वर को धन्यवाद दिया और कहने लगा कि हे भगवान! आज मेरा आप पर और विश्वास बढ़ गया है और मैं समझ गया हूं कि आप हमसे कितना प्रेम करते हैं। हमारी आधी झोपड़ी आप ही ने बचाई है, नहीं तो इतनी मूसलाधार बरसात में हमारी पूरी झोपड़ी उड़ गई होती तो हमारे पास रहने के लिए कोई जगह ही नहीं होती। निश्चित ही यह मेरी पूजा-अर्चना का ही फल है। कल से मैं आपकी और अधिक पूजा-अर्चना करूंगा क्योंकि मेरा आप पर और विश्वास बढ़ गया है। 

शिक्षा- दोस्तों! इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि एक ही घटना को दो लोग कितने अलग-अलग दृष्टि से देखते हैं। व्यक्ति के आज के विचार ही उसके भविष्य को निश्चित करते हैं। व्यक्ति का जीवन तभी बदलेगा जब वह अपने विचार बदलेगा। अगर अपने विचार इस कहानी के पहले साधू की तरह रखेंगे तो हर बात में कमी ही नज़र आएगी। और यदि इसी के विपरीत अपने विचार दूसरे साधू की तरह रखेंगे तो हर बात में सब अच्छा ही नज़र आएगा। याद रखिए जीवन में कितनी ही विकट परिस्थिति ही क्यों ना आए उस वक्त हमेशा दूसरे साधू की तरह विचार सकारात्मक ही होने चाहिए।


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