अहंकार
-सौ.
भक्ति
सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया,
साउथ
कैरोलिना,
यू.
एस.
ए.
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'Ego
is just a small three letter word which can destroy a big twelve
letter word, relationship.'
आज
हम बात कर रहे हैं अहंकार (Ego)
की।
अहंकार सुनने में और बोलने
में एक मामूली सा शब्द लगता
है,
जिसे
इंग्लिश में हम Ego
कहते
हैं। पर यही अहंकार कब इंसान
का बड़ा दुश्मन बन जाता है और
उसे पूरी तरह से खत्म कर देता
है,
पता
ही नहीं चलता। बिल्कुल दीमक
की तरह यह अपना काम धीरे-धीरे
करता है। यह अहंकार ही तो है
जो महान,
विद्वान
तथा पराक्रमी रावण के विनाश
का कारण बना था। यदि मनुष्य
कुछ अच्छा काम करता है तो उसे
प्रोत्साहित किया जाता है
तथा जिस भी क्षेत्र में वह काम
करता है वहां सभी को उस पर गर्व
होता है। बस यही गर्व दूसरों
की जगह स्वयं पर यदि ज़रूरत
से अधिक होने लगे तो वह धीरे-धीरे
अहंकार का रूप लेना शुरू कर
देता है। जब व्यक्ति कड़ी
मेहनत करता हैं और सफल होता
है,
तब
उसके मन में एक विनम्र संतुष्टि
की भावना पैदा होती है। यह
उसका स्वयं पर विश्वास तथा
गर्व होता है। परंतु जहां
'मैं'
शब्द
की परिभाषा मनुष्य बोलने लगता
है,
जैसे
कि यह कार्य सिर्फ मैं ही कर
सकता हूं तो यह मनुष्य का अहंकार
होता है। यही अंतर होता है
"मैं
कर सकता हूं"
और
"सिर्फ
मैं ही कर सकता हूं"
में।
ज्यादातर लोग अपने अहंकार के
कारण ही स्वयं का जीवन बर्बादी
की ओर ले जाते हैं। वे स्वयं
पर विश्वास से ज्यादा अपने
अहंकार को अधिक महत्व देने
लगते हैं।
मनुष्य
का अहम और वहम दोनों ही उसे
सफलता की सीढ़ियां चढ़ने नहीं
देता। क्योंकि एक अहंकारी
व्यक्ति की दुनिया उसी से शुरू
होकर उसी पर खत्म होती है और
वह अपने जीवन में सफलता का
लंबा सफर तय नहीं कर पाता
क्योंकि उसका रास्ता घूम फिर
कर सिर्फ 'मैं'
पर
आकर ही रुकता है। समाज में कुछ
व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जिन्हें
यह लगता है कि मुझे ही सब कुछ
आता है,
मैं
सब जानता हूं,
मुझे
कुछ सीखने की ज़रूरत नहीं।
तो समझ लीजिए यह वह व्यक्ति
नहीं,
उस
व्यक्ति के अंदर बैठा अहंकार
बोल रहा है। हां,
माना
कोई व्यक्ति बहुत कुछ जानता
हो,
पर
दोस्तों!
वह
सब कुछ नहीं जानता होगा। जहां
तक मुझे लगता है,
आपको
गर्व और अहंकार के बीच अंतर
तो समझ में आ ही गया होगा। परंतु
एक शब्द और है जो हमेशा अहंकार
के आसपास रहता है और उसकी
परिभाषा भी कभी-कभी
अहंकार से जोड़कर देखी जाती
है। वह शब्द है रवैया। जिसे
इंग्लिश में कहते हैं Attitude।
पर दोस्तों!
एक
बात मैं यहां साफ कर देना चाहती
हूं कि Attitude
और
Ego
यह
दोनों ही अलग-अलग
शब्द हैं इनकी अलग परिभाषाएं
हैं। क्योंकि हम यह समझते हैं
कि जिन लोगों का रवैया खराब
होता है वह अहंकारी यानी की
Egoistic
होते
है। लेकिन Attitude
अपने
आप में एक अलग और बहुत विस्तृत
विषय है। तो वहीं,
Ego उसका
एक छोटा-सा
भाग मात्र है। किसी भी व्यक्ति
का रवैया दो प्रकार का हो सकता
है यानी अच्छा या बुरा। लेकिन
इसे इस तरह समझने का प्रयत्न
किया जाए कि हर Ego
रखने
वाले व्यक्ति में Attitude
तो
होता है पर यह जरूरी नहीं है
कि हर Attitude
रखने
वाले व्यक्ति में Ego
हो।
परिस्थिति कैसी भी हो,
जो
व्यक्ति कड़ी मेहनत कर हर
परिस्थिति अपने अनुकूल बना
लेता है,
ऐसा
ही व्यक्ति positive
attitude वाला
होता है।
इसी
तरह व्यक्ति को भी यह ध्यान
रखना चाहिए कि उसे अच्छे
Attitude
वाला
यानी कि अच्छा रवैये रखने वाला
व्यक्ति बनना चाहिए,
ना
की अहंकारी। क्योंकि अहंकार
व्यक्ति की एक खराब आदत होती
है जो उसे हमेशा दूसरों के
सामने महत्वपूर्ण दर्शाने
के लिए उकसाती है और साथ ही
उसके आत्मविश्वास को घमंड
में बदल देती है। अहंकारी
व्यक्ति को ना तो कभी अपनी
गलती दिखाई देती है और ना ही
कभी दूसरों की अच्छाई। मनुष्य
को कभी भी अहंकार को अपने दिमाग
में घर नहीं करने देना चाहिए।
नहीं तो उसने जितनी जल्दी
सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ी हैं,
अहंकार
की वजह से उससे भी ज्यादा जल्दी
नीचे उतरने में देर नहीं लगेगी।
व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा
कोशिश करनी चाहिए कि खुद को
ज़मीन से ही जोड़े रखे,
बड़ी-बड़ी
सफलताएँ प्राप्त करने के बाद
भी खुद को वैसा ही रखे जैसा वह
पहले था। व्यक्ति को आम के
फलों से लदे पेड़ की तरह होना
चाहिए,
जिसकी
टहनियां फलों से लदी व झुकी
रहती हैं। जितने फल लगते जाते
हैं वे उतना ही झुकती जाती
हैं। बड़ी-बड़ी
सफलताएँ मिलने का वास्तविक
अर्थ वैसा ही है,
व्यक्ति
को लदे हुए फलों की टहनियों
की तरह विनम्रता से झुके रहना
चाहिए,
व्यक्ति
खुद पर गर्व अवश्य कर सकता है
लेकिन घमंड व अहंकार उसकी
प्रगति लिए ज़रा भी अच्छा
नहीं।
कवि
श्रीनाथ सिंह जी की एक कविता
की बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां
हैं -
फूलों
से नित हँसना सीखो,
भंवरों
से नित गाना।
तरु
की झुकी डालियों से नित,
सीखो
शीष झुकाना।
अपने सजेशन व कमेंट देने के लिए कमेंट बॉक्स में सजेशन लिखकर पब्लिश आवश्य करें।
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EGO पर इतनी गहराई से विवरण।
ReplyDeleteAttitude का अर्थ।
सफलता का मूल मंत्र।
बोहोत बढ़िया भक्ति।
Shaishav Bhatnagar
Thank you bhaiya 🙂
Deleteअहंकार के बारे में इतना सटीक व उचित उदहारण के साथ जो वर्णन किया है वह बोहट ही सराहनीय है
ReplyDeleteExcellent keep it up
Thank you Papa 🙂🙏
DeleteYes "I" is the least important word, which is the main cause of three letter word the "EGO". Let the whole world / human society work on I + U = V (We)." इंसानियत - इंसानियत - इंसानियत .......ही मेरा धर्म है , ना हिंदु, ना मुस्लिम, ना सिख, ना इसाई और प्रकृति ही मेरा / मेरी भगवान् ".धन्यवाद .Keep it UP.
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