यह उन दिनों की बात है…..
-सौ.
भक्ति
सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया,
साउथ
कैरोलिना,
यू.
एस.
ए.
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हर
अंधेरे के बाद रोशनी होती है,
हर
रात के बाद नई सुबह होती है,
न
हारना तू हौसला अपना,
क्योंकि
हर कल के साथ
एक
नई उम्मीद होती है।
दोस्तों!
बीते
कुछ 15-20
दिनों
से मानो ऐसा लग रहा है कि किसी
ने जादू की छड़ी घुमाई और हम
हमारे जिंदगी के 25-30
साल
पीछे चले गए। हालांकि,
मैं
उस ज़माने की बात कर रही हूं
जब मेरा जन्म भी नहीं हुआ था।
पर माता-पिता,
दादा-दादी
और घर के बुजुर्गों से उन दिनों
की बातें ज़रूर सुनी हैं। उनके
द्वारा उन पुराने दिनों की
बताई हुई बातों को यदि हम आज
की परिस्थितियों के साथ जोड़
कर देखें तो वाकई यही लगेगा
कि हम फिर से उन पुराने दिनों
में पहुंच गए हैं। हम जो टीवी
पर रियालिटी शो और डेली सोप्स
देखते हैं। जिनका कोई ओर-छोर
नहीं होता,
बस
इंटरटेनमेंट के लिए या यूं
कहें तो टाइम पास के लिए देखते
हैं। और इनमें से कुछ शो तो
परिवार के साथ बैठकर देखने
लायक भी नहीं होते। पर अब इन
सब की जगह उन दिनों के दौर में
चलने वाले सुप्रसिद्ध रामायण
और महाभारत जैसे अन्य ऐतिहासिक,
पौराणिक
और शिक्षाप्रद धारावाहिक को
ने ले ली है। जिसे आज हम सपरिवार
एक साथ बैठकर देखते हैं और
आनंद लेते हैं। Domino's,
McDonald's, Subway, Pizza hut, Chinese food और
zomato,
Uber जैसे
ऐप,
जो
उस वक्त थे ही नहीं,
की
जगह सुबह-शाम
घर के पौष्टिक व ताज़े खाने
ने ले ली है। कोल्ड ड्रिंक आदि
प्रिजर्वेटिव ड्रिंक्स की
जगह हेल्दी हल्दी के दूध ने
ले ली है।
वीडियो
गेम्स और मोबाइल गेम्स की जगह
परिवार के साथ बैठकर खेलने
वाले इंडोर गेम्स जैसे कैरम,
चेस,
अंताक्षरी,
सांप
सीढ़ी आदि गेम्स ने ले ली है।
याद है दोस्तों,
जिन्हें
हमने हमारे बचपन में गर्मी
की छुट्टियों में खेला करते
थे?
तो
क्यों ना इन खेलों के साथ हमारी
बचपन की कुछ यादें व कुछ सुनहरे
पल हम आज दोबारा जी लें। आज घर
में ही हम ने कुछ वक्त निकालकर
अपनों से बात करना शुरू किया
है। मोबाइल की दुनिया से बाहर
निकलकर हम हमारे परिवार,
माता-पिता,
बच्चों
और भाई-बहनों
के साथ बैठकर गप्पे मार रहे
हैं। पुरानी कुछ खट्टी-मीठी
यादें ताज़ा कर रहे हैं। अपने
परिवार के साथ बिताए हुए यह
अनमोल पल शायद फिर कभी लौट कर
नहीं आएंगे। इस भागदौड़ भरी
जिंदगी में इंसान दो वक्त की
रोटी कमाने के लिए दौड़ता रहता
है पर वह एक वक्त भी अपने परिवार
के साथ बैठकर उसका आनंद नहीं
ले पाता। बस यही वो पल है जब
हम सुबह-शाम
परिवार के साथ बैठकर खाना खाने
का आनंद ले रहे हैं। एक बात पर
ज़रा गौर फरमाइए दोस्तों!
अभी
कुछ खाली पल में आप वक्त निकालकर
याद से अपने रिश्तेदार व आपके
करीबी लोगों से संपर्क कर उनके
हालचाल पूछ रहे हैं। अपने बचपन
के और पुराने दोस्तों के साथ
फोन पर गपशप मार रहे हैं। आप
वही काम कर रहे हैं जो आप टाइम
नहीं है या बहुत बिज़ी हूं
कहकर अक्सर डाल दिया करते थे।
यह
उन दिनों की बात है। जिस वक्त
घर पर काम करने के लिए मेड नहीं
आती थी। आज भी वही स्थिति है
घर के सभी लोग मिलकर घर के काम
कर रहे हैं। घर की साफ-सफाई
कर रहे हैं। उन दिनों कोई भी
व्यक्ति यदि बाहर से घर आता
था तो आकर नहाता था या मुंह-हाथ
धोता था। आज की परिस्थिति में
भी उस वक्त की यह पद्धत को हम
फिर से अपना रहे हैं। मॉडर्न
जमाने में हैंड शेक करने वाले
लोग भी नमस्ते अपना रहे हैं।
यह हमारे संस्कार है दोस्तों!
हम
जैसे कुछ लोग मॉडर्न बनने की
होड़ में इन संस्कारों को भूल
रहे हैं। पर याद रखिए,
हमारे
सर्वश्रेष्ठ भारतीय संस्कार
आज पूरा विश्व अपना रहा है और
आगे भी इसी तरह अपनाता रहेगा।
जिम आदि फिटनेस ट्रेनिंग सेंटर
की जगह घर में योगा और मेडिटेशन
ने ले ली है। जो उन दिनों हर
घर में बच्चों से लेकर वृद्ध
तक हर व्यक्ति अपने आरोग्य
को स्वस्थ रखने के लिए किया
करते थे। आज इम्यूनिटी बढ़ाने
के लिए मेडिसिन सप्लीमेंट्स
की जगह आयुर्वेद औषधियों और
घरेलू काढे ने ले ली है। हर घर
में सुबह-शाम
भगवान की पूजा होने लगी है और
इस कठिन परिस्थिति से जल्द
बाहर निकलने के लिए प्रार्थना
होने लगी है,
जो
उन पुराने दिनों में हर घर में
हर रोज़ हुआ करती थी। सभी के
घर में होने के कारण सड़कों
पर दौड़ती गाड़ियों की संख्या
लगभग ना के बराबर हो गई है।
जिसके असर से हवा शुद्ध हो रही
है। हर प्रकार का प्रदूषण कम
हो रहा है। पशु-पक्षी
खुले व स्वच्छ वातावरण में
खुश है। दौड़-भाग
भरी जिंदगी थोड़ी शांत हो गई
है। माता-पिता
और बच्चे जिन्हें हम अपने बिजी
शेड्यूल के कारण वक्त नहीं
दे पाते थे उन्हें वक्त दे पा
रहे हैं। और उनके साथ व्यतीत
हो रहे हर पल में सुख का अनुभव
भी कर रहे हैं।
इस
बात पर कभी गौर किया है दोस्तो,
इस
वक्त ने हमें यह एहसास करा
दिया कि हमारी जरूरतें सीमित
ही हैं। यदि हमारे पास अभी कोई
चीज़ नहीं है तो उसे लेने के
लिए हम तुरंत दौड़ नहीं रहे
हैं। उसके बिना भी हमारा काम
चल रहा है। जो वस्तुएं हमारे
पास है उन्हीं का उपयोग करते
हुए आज हम खुशी से जी रहे हैं।
उन दिनों भी यही होता था। जो
है उसी में खुश रहना उन दिनों
से ही हमें सिखाया जाता रहा
है। पर क्या करें वक्त की मार
ही कुछ ऐसी होती है कि आज के
वक्त में हर कोई लग्जरी की ओर
खींचा जा रहा है। इन सब से दूर
शांत माहौल में कुछ दिनों से
वाकई में जीवन जीने की अनुभूति
सी हो रही है। हम अपने ऑफिस के
काम में इतना व्यस्त हो जाते
थे की अपने खुद के लिए भी वक्त
नहीं निकाल पाते थे। आज कम से
कम किसी खाली वक्त में बैठकर
अपने बारे में कुछ सोचते तो
हैं। कुछ सपने या कुछ शौक
जिन्हें व्यस्त दिनों में
नहीं कर पाते थे आज वही सब करने
का थोड़ा सा वक्त हमें मिल रहा
है। क्या आप सब मेरी बात से
सहमत हैं?
इन
सब बातों को एक बार ज़रूर सोचिए
और इन दिनों में अपने परिवार
के साथ वक्त बताइए। अपने लिए
थोड़ा वक्त निकालिए। कुछ
क्रिएटिव कीजिए,
कुछ
अच्छा पढ़िए,
अच्छा
सोचिए। देखिएगा जब हम सब की
रूटीन की गाड़ी फिर से पटरियों
पर सामान्य तरीके से दौड़ने
लगेगी तब आप अपने आप में बहुत
कुछ पॉजिटिव चेंज ज़रूर देखेंगे।
यह समय यह सब सोचने का नहीं है
कि अचानक यह सब क्या हो गया?
यह
सब कब ठीक होगा?
पुराने
रूटीन में हम कब आएंगे?
अब
हम घर में नहीं बैठ सकते वगैरह
जैसे सारे नेगेटिव थॉट्स अपने
माइंड से निकाल दीजिए। इस वक्त
को जा़या मत कीजिए जितना लाभ
उठा सकते हैं उतना लाभ उठाइए
और एक-एक
पल को पूरी तरह से एंजॉय कीजिए।
दोस्तों,
वाकई
यह वक्त बहुत कठिन है। बाहर
की परिस्थितियों के कारण हर
कोई चिंतित है। ऐसे में यदि
घर का कोई भी एक सदस्य कमजोर
पड़ जाएगा तो सभी का मनोबल
टूटेगा। जो हो रहा है उन
परिस्थितियों पर किसी का बस
नहीं है पर उसके लिए ईश्वर से
प्रार्थना करिए कि जल्द ही
सब ठीक हो जाए तथा आसपास जो भी
घटनाएं घट रही है ईश्वर सभी
को इन सब से उबरने की शक्ति
प्रदान करें।
कहते हैं ना दोस्तों -
वक्त
किसी का मोहताज नहीं होता,
बुरा
वक्त आता है और चला भी जाता
है,
यह
समय का पहिया है,
किसी
के रोकने से नहीं रुकता
बस
आगे बढ़ता ही चला जाता है।
अपना
तथा अपनों का ध्यान रखिए।
स्वस्थ रहिए,
घर
में रहिए और सुरक्षित रहिए।
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🇮🇳 अति सुन्दर वो पुराने दिन याद आगये, हमने वो पुराने देखें। हैं क्या दिन थे ना कोई टेंशन ना जींदगी की भाग दौड़। परंतु आज के ये दिन देखकर बहुत दुःख होता है की सबकुछ पा कर भी जीवन में खुशियां नहीं है।
ReplyDeleteBilkul sahi kaha Baba 🙂🙏
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