Friday, 11 October 2019

प्लास्टिक और पर्यावरण | Hindi

प्लास्टिक और पर्यावरण

-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू.एस..


जिस प्लास्टिक को मनुष्य अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए हुए है, वही अब मानव जाति के लिये धीमा ज़हर बन चुका है। यह समूची दुनिया के लिये गंभीर चुनौती बन चुका है। वैज्ञानिक तो बरसों से इसके दुष्परिणामों के बारे में सूचित कर रहे हैं। अपने शोधों, अध्ययनों के माध्यम से उन्होंने समय-समय पर इससे होने वाले खतरों को साबित भी किया है और जनता को उससे आगाह भी किया है। प्लास्टिक युक्त कचरे से सिर्फ महानगर ही नहीं बल्कि छोटे शहर और गांव भी अछूते नहीं हैं। नतीजतन गन्दगी और प्लास्टिक युक्त कूड़े-कचरे पर अक्सर मक्खी-मच्छर और कीड़े-मकोड़े पनपते हैं जो अनेकों गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। सबसे अधिक दुखदायी बात तो यह है कि मवेशी द्वारा अनजाने में प्लास्टिक खा लेने से उन्हें अनेक प्रकार की बीमारियाँ होने लगती है व कई बार उनकी जान पर भी बन आती है।
मनुष्य की ही लापरवाही का नतीजा है कि नदी और समुद्र में प्लास्टिक का कचरा चिंताजनक तेज़ी से बढ़ रहा है और पर्यावरण के लिए एक भयानक खतरा बनता जा रहा है। नदी और समुद्र में पहुँच रहा प्लास्टिक का कचरा मनुष्य, जल-जीवों और पशु-पक्षियों के भोजन में भी पहुँच रहा है। वैज्ञानिकों की एक शोध में यह सामने आया कि जिस पानी को प्लास्टिक की बोतलों में भरा जाता है और लोग मिनरल वाटर समझकर पीते हैं, उसमें प्रति लीटर औसतन न जाने कितने प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मौजूद होते हैं। मनुष्य ने अपनी सुविधा के लिए प्लास्टिक का निर्माण किया अब वही उसके लिए सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। प्राकृतिक रूप से प्लास्टिक ना ही मिट्टी तथा ना ही पानी में घुलने योग्य है। यही प्लास्टिक सड़कों पर पानी के निकास मार्गों में फंस जाता है जिससे ज़रा-सी बारिश से भी सड़कों पर जलभराव हो जाता है और सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। यदि मनुष्य ने समय रहते इस भयंकर समस्या का समाधान नहीं ढूंढा तो आज उपयोग में ले कर फेंका हुआ प्लास्टिक कचरा सैकड़ों-हजारों साल तक हमारी आने वाली पीढ़ियों के साथ बना रहेगा और सभी जीवों के जीवन और पर्यावरण से खिलवाड़ करता रहेगा। जिसकी भरपाई असंभव होगी। ऐसे में इसके उत्पादन और निस्तारण को लेकर गम्भीरतापूर्वक विचार किये जाने की बेहद ज़रूरत है।
प्लास्टिक के अधिक उपयोग के दुष्परिणामों को देखते हुए सर्वप्रथम इसकी रीसाइक्लिंग की मुहिम पर ज़ोर दिया गया है। प्लास्टिक उत्पादनों की रीसाइक्लिंग कर पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है। प्लास्टिक के साथ-साथ पेपर, अल्युमिनियम, स्टील और अन्य धातुओं को भी रिसाइकल कर कुछ और उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है। मनुष्यों द्वारा पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाया गया है। ग्लोबल वॉर्मिंग भी मनुष्य की गलतियों का ही परिणाम है। रीसाइक्लिंग से प्राकृतिक संसाधनों के अपव्यय को रोका जा सकता है। यह प्रदूषण को काफी हद तक रोक सकता है, पर्यावरण को बचा सकता है और अधिक उपयोगी वस्तुओं को बनाने में मदद कर सकता है। इसलिए पर्यावरण की रक्षा हम सभी की ज़िम्मेदारी बनती है। समुद्र में प्लास्टिक के कचरे का स्तर बढ़ जाने से समुद्री जीव-जंतुओं को जो परेशानी होती है उससे निजात पाने के लिए देश विदेशों में यह कचरा साफ करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। हमारे ही देश में प्लास्टिक के कचरे को पुनः उपयोग में लाने के लिए इसे सड़क बनाने में भी उपयोग किया जा रहा है। यह एक क्रांतिकारी कदम है जिसमें कूड़े से बीने गए प्लास्टिक से सड़क बनाई जा रही है। एक  प्रोसेसिंग प्लांट में सड़क बनाने वाले मिश्रण में 10 फीसद प्लास्टिक मिलाया जाता है। इस मिश्रण से बनी सड़क की मज़बूती बढ़ जाती है। 
दोस्तों, पूरे भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक, जैसे पॉलिथीन और प्लास्टिक की बोतलों इत्यादि का उपयोग बंद करने की मुहिम चल रही है। अब जानते हैं कि हम अपनी ओर से इस मुहिम में अपना योगदान कैसे दे सकते हैं और प्लास्टिक के कचरे को कम करने का प्रयास कर सकते हैं। हम प्लास्टिक का सबसे ज्यादा उपयोग घरेलू सामान एवं सब्जियां खरीदते वक्त करते हैं। सामान लाने के लिए हमेशा एक कपड़े की थैली अपने पास रखिए और उसका उपयोग कीजिए। घर से निकलते वक्त पीने का पानी अपने साथ रखिए ताकि प्यास लगने पर आपको बाजार से प्लास्टिक की बोतल में पानी ना खरीदना पड़े। प्लास्टिक का कचरा सिर्फ और सिर्फ कचरा पेटी में ही डालें, इससे यह पूरी तरह रीसायकल हो पाएगा। 
प्लास्टिक कचरे की रीसाइक्लिंग से इससे संबंधित प्रदूषण को व दुष्परिणामों को बहुत कम किया जा सकता है। इससे पर्यावरण स्वस्थ बनेगा और भविष्य में सभी जीव स्वस्थ जीवन व्याप्त कर सकेंगे।
स्वच्छ राष्ट्र बनाना है,
हर घर से प्लास्टिक को हटाना है।

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1 comment:

  1. सच है प्लास्टिक पर्यावरण, मानव जाति व संपूर्ण जीवों के लिए नुकसानदेह है
    बोहत अच्छा लेख लिखा है 👏👏👏👏👏👏

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