-सौ.
भक्ति
सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया,
साउथ
कैरोलिना,
यू.एस.ए.
भारतीय
हिंदू समाज में जितने पर्व
और उत्सव मनाए जाते हैं,
उनमें
नवरात्रि का विशिष्ट स्थान
है। नवरात्रि शक्ति की उपासना
का पर्व है। शक्ति ही विश्व
का सृजन करती है,
शक्ति
ही इसका संचालन करती है,
शक्ति
ही दुष्टों का संहार करती है।
नवरात्रि
उत्सव मां की आराधना व नारी
शक्ति का प्रतिनिधित्व है।
वसंत और शरद ऋतुओं का आगमन
जलवायु और सूरज के प्रभावों
का महत्वपूर्ण संगम माना जाता
है। यह दोनों समय मां दुर्गा
की पूजा के लिए पवित्र अवसर
माने जाते हैं। नवरात्रि पर्व
माँ दुर्गा की अवधारणा,
भक्ति
और परमात्मा की शक्ति की पूजा
का सबसे शुभ और अनोखा माना
जाता है। नवरात्रि
त्यौहार प्रति वर्ष मुख्य
रूप से दो बार बनाया जाता है,
हिंदी
महीनों के अनुसार पहला नवरात्रि
चैत्र मास में मनाया जाता है
तो दूसरा नवरात्रि अश्विन
मास में मनाया जाता है। शक्ति
की उपासना का पर्व शारदीय
नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक
निश्चित नौ तिथि,
नौ
नक्षत्र,
नौ
शक्तियों की नवधा भक्ति के
साथ सनातन काल से मनाया जा रहा
है। नवरात्र में पारंपारिक
नृत्य अर्थात् जिसे गरबा कहते
हैं कर आदिशक्ति की आराधना
की जाती है। आदिशक्ति के हर
रूप की नवरात्र के नौ दिनों
में क्रमशः माँ दुर्गा के 9
अलग-अलग
स्वरूपों की पूजा-अर्चना
की जाती है। माँ शैलपुत्री:
नवरात्रि
के पहले दिन माँ शैलपुत्री
रुप की पूजा-अर्चना
की जाती है। माँ शैलपुत्री
को पहाड़ो की पुत्री भी कहा
जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी:
नवरात्रि
के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी
रूप की पूजा-अर्चना
की जाती है। माँ चंद्रघंटा:
नवरात्रि
के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा
रूप की पूजा अर्चना की जाती
है। माँ चंद्रघंटा का स्वरूप
चन्द्रमा की तरह चमकता है
इसलिए इनको चंद्रघंटा नाम
दिया गया है। माँ कूष्माण्डा:
नवरात्रि
के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा
रूप की पूजा-अर्चना
की जाती है। माँ स्कंदमाता:
नवरात्रि
के पांचवे दिन माँ स्कंदमाता
रूप की पूजा अर्चना की जाती
है। स्कंदमाता को भगवान
कार्तिकेय की माता के रूप में
भी जाना जाता है। माँ कात्यायनी:
नवरात्रि
के छठवें दिन माँ कात्यायनी
रूप की पूजा-अर्चना
की जाती है। माँ कालरात्रि:
नवरात्रि
के सातवें दिन को माँ कालरात्रि
की पूजा-अर्चना
की जाती है। माँ कालरात्रि
को काल का नाश करने वाली देवी
के रूप में जाना जाता है। माँ
महागौरी:
नवरात्रि
के आठवें दिन माँ महागौरी की
पूजा-अर्चना
की जाती है। माँ महागौरी को
सफ़ेद रंग वाली देवी के रूप में
भी जाना जाता है। माँ सिद्धिदात्री:
नवरात्रि
के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री
की पूजा-अर्चना
की जाती है।
नवरात्रि
का त्यौहार वैदिक युग से ही
बड़े ही हर्ष एवं उल्लास के साथ
मनाया जाता है। इस त्यौहार
के शुरू होने के पीछे कुछ
प्रचलित कथाएं है। एक प्रमुख
कथा यह है कि एक महिषासुर नामक
राक्षस ने सूर्य देव,
अग्नि
देव,
वायु
देव,
स्वर्ग
के देवता इंद्र देव सहित सभी
देवताओं पर आक्रमण कर उनके
अधिकार छीन लिए। चूँकि देवताओं
ने पहले महिषासुर को अजेय होने
का वरदान दिया था तो कोई भी
देवता उसका सामना नहीं कर सका
इसलिए सभी देवताओं ने माँ
दुर्गा से स्तुति की वे महिषासुर
राक्षस से युद्ध करें और उसका
संहार करके उन्हें उसके प्रकोप
से मुक्त करें। देवताओं की
विनती मानते हुए माँ दुर्गा
ने महिषासुर से लगातार नौ
दिनों तक युद्ध किया और महिषासुर
का वध किया। तभी से माँ दुर्गा
की नौ दिनों तक पूजा-अर्चना
की जाती है और नवरात्र के रूप
में हर्षोल्लास के साथ मनाया
जाता है। दूसरी कथा इस प्रकार
है कि भगवान श्री राम ने अपने
भाई लक्ष्मण एवं अपने प्रिय
भक्त हनुमान एवं पूरी सेना
के साथ मिलकर रावण से युद्ध
करने से पहले युद्ध में विजय
प्राप्ति के लिए माँ दुर्गा
से आशीर्वाद प्राप्त करने के
लिए उनकी 9
दिनों
तक पूजा-अर्चना
की थी। 9
दिन
पूजा करने के बाद भगवान श्री
राम ने दसवें दिन रावण की सेना
पर चढ़ाई की और उस युद्ध में
रावण को मारा। तभी से प्रचलित
है कि पहले 9
दिनों
को नवरात्रि के रूप में माँ
दुर्गा के 9
रूपों
की पूजा की जाती है और दसवें
दिन रावण दहन होता है इसलिए
इसे दशहरा के नाम से जानते
हैं। नवरात्रि के प्रारंभ से
लेकर दशहरा के दिन तक जगह-जगह
रामलीला का मंचन होता है और
दसवें दिन श्री राम एवं रावण
के युद्ध का मंचन करके रावण
दहन किया जाता है। इस दिन रावण
के पुतले को जलाकर एवं अच्छाई
की बुराई पर जीत के रूप में
उत्सव मनाया जाता है।
आप
सभी को नवरात्रि के पर्व और
दशहरे के त्यौहार की हार्दिक
शुभकामनाएं।
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में सजेशन लिखकर पब्लिश आवश्य
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👌सुंदर विवरण 👏👏👏
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