व्यक्तित्व : मनुष्य का दर्पण
-सौ.
भक्ति
सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया,
साउथ
कैरोलिना,
यू.एस.ए.
व्यक्ति
का व्यक्तित्व ठीक उसी तरह
है जिस तरह एक फूल के लिए उसकी
खुशबू। व्यक्तित्व शब्द से
सभी भली-भांति
परिचित हैं। व्यक्तित्व या
पर्सनॅलिटी को अक्सर लोग
शारीरिक आकर्षण या सुंदरता
से जोड़ कर देखते हैं। पर क्या
सही मायने में इस शब्द के व्यापक
रूप को कोई समझ पाया है?
पर्सनालिटी
शब्द लैटिन भाषा के शब्द
'परसोना'
से
उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ
होता है 'मुखौटा'।
जिसका उपयोग रोमन लोग थियेटर
में काम करने के लिए और अलग-अलग
किरदार निभाने के लिए करते
थे। इसका अर्थ ये हुआ की
व्यक्तित्व मनुष्य के किरदार
की पहचान है। व्यक्तित्व को
सही रूप में इस परिभाषा से
समझा जा सकता है – ‘पर्सनॅलिटी
सिर्फ़ शारीरिक गुणों से ही
नहीं बल्कि विचारों और व्यवहार
से मिलकर बनती है जो व्यक्ति
के व्यवहार और समाज में उसके
सामंजस को भी निर्धारित करती
है। कोई भी व्यक्ति जन्म से
ही अच्छा व्यक्तित्व लेकर
पैदा नहीं होता है। बल्कि सफल
होने लिए अपने अंदर के गुणों
को विकसित करना पड़ता है। ऐसे
गुण जो दूसरों को प्रभावित
करें व साथ-ही-साथ
स्वयं का भी विकास करें।'
शारीरिक
रूप से सुंदर होना या बुद्धिमान
होना व्यक्तित्व का सिर्फ़
एक मामूली सा पहलू है। बल्कि
अच्छे व्यक्तित्व के लिए ज्ञान
का सही उपयोग करना और अपने
हाव-भाव
को उसके अनुरूप बनाना आवश्यक
होता है। अपने व्यक्तित्व को
निखारने के लिए पहली आवश्यकता
है स्वयं को सही तरीके से समझना
क्योंकि कहते हैं ना कि व्यक्ति
को वही नज़र आता है जो वह देखना
चाहता है और जो वह समझता है।
अपने नकारात्मक विचारों से
दूर रहना और दूसरों के प्रति
हीन भावना को दूर करना अपने
व्यक्तित्व में निखार लाने
के लिए पहला कदम है। दुनिया
का एक बहुत बड़ा भ्रम है कि
अगर व्यक्ति दिखने में आकर्षक
अथवा सुंदर नहीं है तो उसका
व्यक्तित्व अच्छा नहीं हो
सकता। महात्मा गांधी,
डॉ.
ए
पी जे अब्दुल कलाम,
अटल
बिहारी वाजपेई और ना जाने
कितने ही इनके जैसे महान
व्यक्तित्व वाले लोग शारीरिक
रूप से आकर्षक नहीं थे पर मानव
जाती के लिए इनका व्यक्तित्व
एक मिसाल है। क्योंकि इन लोगों
ने अपने नकारात्मक विचारों
पर विजय पाई और खुद पर भरोसा
किया। नकारात्मक विचारों पर
विजय पाने का उपाय है स्वयं
से प्रेम करना,
स्वयं
के लिए हमेशा अच्छा सोचना और
जीवन में वास्तविक लक्ष्य
निर्धारित करना।
अपने
साथियों से बेहतर बनने के
बजाएं कोशिश करें की अपने आप
से बेहतर बनें। तनाव और डर दो
बहुत ही बड़े कारण हैं जो
व्यक्तित्व को पूरी तरह से
निखरने नहीं देते। स्वयं के
अंदर के डर को पहचानना और उससे
मुक्त होने का प्रयास करना
अत्यंत आवश्यक है। सब से बड़ा
डर जो किसी भी व्यक्ति के मन
में होता है वह है असफलता और
आलोचनाओं का डर। जिसे बार-बार
प्रयास कर के ही दूर किया जा
सकता है। सकारात्मक रवैया,
आत्मविश्वास,
व्यवहारिक
ज्ञान,
स्वप्रेरणा
और अच्छी बॉडी लैंग्वेज का
इस्तेमाल कर के व्यक्तित्व
को विकसित किया जा सकता है।
परंतु यह तभी संभव है जब व्यक्ति
के मन में सकारात्मक विचार
आएँगे और यह तभी आ सकते हैं जब
आप स्वयं के व्यक्तित्व को,
स्वयं
की भौतिक विशेषताओं को बिना
किसी प्रश्न के साथ ईमानदारी
से स्वीकार करेंगे। व्यक्तित्व
में विचारों और व्यवहार की
भूमिका के साथ-साथ
भौतिक विशेषताओं को नकारा
नहीं जा सकता। भौतिक विशेषताएं
या फिजिकल कैरेक्टरिस्टिक्स
का अर्थ खूबसूरत चेहरे से नहीं
बल्कि इसका तात्पर्य व्यक्ति
कितना ऊर्जावान और सक्रिय
है,
इससे
होता है। साथ ही साथ सही
शिष्टाचार,
दूसरे
व्यक्ति से बात करने व उनसे
आचरण करने का तरीका और ज्ञान
व व्यवहारिक ज्ञान का होना
अत्यंत आवश्यक है। व्यक्तित्व
का एक बहुत ही महत्वपूर्ण
हिस्सा दूसरे व्यक्तियों के
साथ संबंध है। किसी व्यक्ति
का व्यक्तित्व इस बात से भी
आँका जा सकता है कि वो किस
प्रकार के व्यक्तित्व वाले
लोगों से मिलता है अथवा संबंध
रखता है।
आत्मविश्वास,
व्यवहारिक
ज्ञान,
सकारात्मक
विचार,
अच्छी
बॉडी लैंग्वेज के अलावा कुछ
और भी गुण यदि व्यक्ति अपनाए
तो उसके व्यक्तित्व में चार
चाँद अवश्य लग जाएंगे -
जैसे
धैर्यवान होना। यह अत्यंत
ज़रूरी
गुण होता है क्योंकि हर व्यक्ति
को अपने जीवन में उतार-चढ़ाव
और कठिन परिस्थितियों का सामना
करना पड़ता है। आकर्षक व्यक्तित्व
पाने के लिए भाषा में निपुणता
होना ज़रूरी है। बोलते और
लिखते समय सही शब्दों का चुनाव
करते आना चाहिये। उदाहरण के
लिए भारत के प्रधानमंत्री
श्री नरेंद्र मोदी जी पूरे
विश्व में जहां कहीं भी जाते
हैं,
उनका
भाषण सुनने के लिए लाखों लोग
खींचे चले आते हैं। उनकी भाषा
और व्याकरण बेहद समृद्ध है।
वे कभी भी पढ़कर भाषण नहीं देते।
इसी से उनके महान व्यक्तित्व
के बारे में पता चलता है।
व्यक्ति द्वारा बोले गए शब्द
उसके व्यक्तित्व का आईना होते
हैं। क्षमा
करना भी व्यक्तित्व का अद्भुत
गुण है।
गलती होने पर किसी को क्षमा
करना सरल नहीं होता है। परंतु
इस गुण को धारण करने से व्यक्ति
का व्यक्तित्व और भी महान बनता
है। व्यक्ति
को हमेशा सामने वाले के व्यक्तित्व
को भाँपते हुए प्रतिक्रिया
देनी चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति
इस दुनिया में अद्वितीय है।
हर प्रकार के व्यक्तित्व का
आदर करना चाहिए और अपने व्यक्तित्व
विकास के लिए निरंतर प्रयास
करते रहना चाहिए। यह सदैव याद
रखिए कि-
'दो
तथ्य व्यक्तित्व को परिभाषित
करते
हैं आपका धैर्य,
तब
जब आपके पास कुछ ना हो,
आपका
व्यवहार,
जब
आपके पास सब कुछ हो।'
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