Friday, 2 August 2019

आत्मरक्षा का महत्व | Hindi


आत्मरक्षा का महत्व


- सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर

- कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू.एस..


          आजकल अपराध जगत के पैर इस कदर फैलते जा रहे हैं कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। ऐसे में इन अपराधियों से कैसे निपटा जाए और अपनी स्वयं की व अपनों की सुरक्षा किस प्रकार की जाए यह प्रत्येक व्यक्ति को समझना आवश्यक है। आए दिन डकैती, चेन खींचना, लूटपाट, रेप आदि कई घटनाओं की खबरें आती हैं। इंसान स्वयं को खुद के घर में भी सुरक्षित महसूस नहीं करता। ऐसे में जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति को इन स्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए। सतर्कता के साथ यह भी ज़रूरी है कि कभी ऐसी स्थिति आए तो इसे लड़ सकें और ऐसा करने वाले को अच्छा सबक सिखा सकें। जिसके लिए आत्मरक्षा का महत्व व किस प्रकार आत्मरक्षा करनी चाहिए का ज्ञान होना आवश्यक है।
          आत्मरक्षा से अभिप्राय खुद की रक्षा करने से हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 96 से लेकर धारा 106 ने हमें आत्मरक्षा का अधिकार दिया है। हर व्यक्ति को अपने इस अधिकार के प्रति जागरूक होना चाहिए। आत्मरक्षा के तरीके हर व्यक्ति को आने चाहिए। महिलाएं भी स्वयं को खतरे में पाकर आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग कर सकती है और खुद को कोई भी जानमाल की हानि होने से बचा सकती है। आत्मरक्षा का अधिकार जगह और परिस्थिति पर भी निर्भर करता है। किसी को बिना वजह पीटना आत्मरक्षा नहीं होती। आत्मरक्षा तब तक मान्य है जब आपके सामने कोई खतरा हो और आप खुद को उससे बचाने की कोशिश करें।
आत्मरक्षा करने हेतु कुछ सेल्फ डिफेंस तकनीक सीखना ज़रूरी है जैसे - पहला, महिलाएं अपने नाखूनों से अनचाही परिस्थितियों में अपनी रक्षा कर सकती हैं। दूसरा, कलाई मरोड़ना, डराने और धमकाने के लिए सबसे सही तरीका है। यदि आपके साथ कोई छेड़खानी या बदतमीजी करता है तो तुरंत पलट कर उसकी कलाई मजबूती से पकड़े आंखों में आंखें डाल कर उस पर चिल्लाएं। तीसरा, अपने साथ अपनी पर्स में एक सिटी रखें रात को या सुनसान जगह पर कोई गलत व्यवहार करे तो पूरी ताकत के साथ उसे पीछे धकेलकर सीटी बजाना शुरू करें। चौथा, यदि आप घर में है और कोई हमला करने का प्रयत्न करता है तो दौड़कर रसोई घर में जाइए बर्तनों को फेंक कर शोर मचा सकते हैं।
          अपनी सुरक्षा के लिए शरीर को मज़बूत बनाना और खुद को अलर्ट रखना जितना ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी है आत्मरक्षा की कला में निपुण होना। आजकल ना सिर्फ़ स्कूलों में बल्कि फिटनेस सेंटर वह हेल्थ क्लब में महिलाओं के लिए तरह-तरह के सेल्फ डिफेंस वर्कआउट होते हैं। जूडो, कराटे, ताइक्वांडो, कुंग फू आदि ऐसी कलाएं हैं जिनका उपयोग मुश्किल समय में करके आत्मरक्षा की जा सकती है। खासतौर पर उन स्थितियों में जब आप बिल्कुल असहाय हो। अक्सर मुश्किल घड़ी में हमारा सिक्स्थ सेंस हमें इशारे करता है कि हम कहां सुरक्षित है और कहां नहीं। महिलाओं का यह सिक्स्थ सेंस और भी सजक होता है। तो अगर अपनी सुरक्षा को लेकर आपके मन में कोई भी संशय हो तो उसे दबाने की जगह उस पर गौर करें इसके लिए यह भी ज़रूरी है कि आप तुरंत निर्णय लेने के लिए हमेशा तैयार रहें। इसे आप किसी अप्रत्याशित घटना का शिकार होने से बच सकेंगे। अपनी खुद की रक्षा करना हर व्यक्ति को आना चाहिए और उसे खुद को इतना सक्षम बनाना चाहिए कि वह अपनों की तथा स्वयं की रक्षा कर सकें। हमारी खुद की रक्षा हमारे हाथों में है और हमें इसका प्रयोग करना आना चाहिए जिस दिन सब आत्मरक्षा करना सीख जाएंगे उस दिन हम बिना किसी डर के सुरक्षित समाज का निर्माण कर पाएंगे।



अपना व अपनों का ध्यान रखें व हमेशा सुरक्षित रहें।




1 comment: