Friday, 30 August 2019

त्योहारों का महत्व | Hindi

त्योहारों का महत्व




-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. .



           भारत अनेक भौगोलिक भिन्नताओं का देश है । यहाँ अनेक प्रकार के धर्मों, जातियों और उप-जातियों के लोग रहते हैं । हर जाति-धर्म के लोग अपने-अपने अलग-अलग विश्वास और भावनाओं के अनुसार अलग-अलग प्रकार के त्यौहार मनाते हैं। भारत का उत्तर हो या दक्षिण, पूरब हो या पश्चिम, लोगों के मन की यही खुशी बिहू, लोहरी, बैसाखी, मकर संक्रांति, ओणम, पोंगल, होली, रामनवमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, दुर्गापूजा, दशहरा, दीपावली, ईद, क्रिसमस आदि तथा साथ ही राष्ट्रीय त्योहार जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गाँधी जयंती जैसे त्योहारों के रूप में दिखाई देती है। इसके अलावा जन्मदिन, शादी-ब्याह आदि अवसरों को भी त्योहारों की तरह ही उत्सव से मनाया जाता हैं। त्योहारों के अनेक लाभ हैं। त्योहारों के समय घर-परिवार, समाज के लोगों से मिलने-जुलने के साथ आपसी मतभेद दूर कर एकता और भाईचारा के साथ सभी त्योहार एक साथ मनाए जाते हैं। सामाजिक तौर पर राष्ट्रीय त्योहार उत्साह पूर्वक मनाने से राष्ट्रीय चेतना जागती है और देश मजबूत बनता है। संस्कृत के महाकवि-साहित्यकार कालिदास ने मनुष्य को उत्सव-प्रिय कहा है क्योंकि मनुष्य किसी--किसी तरह उत्सव मना कर अपने मन की कुंठा को दूर करके मानसिक रूप से स्वस्थ हो जाता है। त्योहारों से मनुष्य के मन में नये विचार तथा नई चेतना जाग जाती है जिससे वह अपने कार्य के लिए फिर से तरोताज़ा हो जाता है। इसीलिए जीवन में त्योहारों का बड़ा महत्व है।
             इन सभी त्योहारों में एक प्रमुख त्योहार जिसमें सभी जन समुदाय एक साथ भाग लेते हैं तथा हर्षोल्लास से इस त्यौहार को सामाजिक स्तर पर मनाते हैं। 'गणेश उत्सव' जी हां दोस्तों, हर कोई अपने घर, गली या मोहल्लें में छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति भी बड़ी धूमधाम से प्रसन्न चित्त होकर तथा विधि-विधान से इस उत्सव को मनाते हैं। यह त्योहार सामाजिक मान्यताओं परंपराओं व पूर्व संस्कारों पर आधारित है। गणपति उत्सव की शुरुआत 1893 महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी। 1893 के पहले भी गणपति उत्सव मनाया जाता था पर वह मात्र घरों तक ही सीमित था। उस समय आज की तरह पांडाल नहीं बनाए जाते थे और ना ही सामूहिक गणपति विराजते थे। तिलक उस समय एक युवा क्रांतिकारी और गर्म दल के नेता के रूप में जाने जाते थे। वे एक बहुत ही स्पष्ट वक्ता और प्रभावी ढंग से भाषण देने में माहिर थे। यह बात ब्रिटिश अफ़सर भी अच्छी तरह जानते थे कि अगर किसी मंच से तिलक भाषण देंगे तो वहां स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा आग बरसना तय है। तिलक 'स्वराज' के लिए संघर्ष कर रहे थे और वे अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते थे। इसलिए उन्हें ऐसा सार्वजनिक मंच चाहिए था, जहां से उनके विचार अधिकांश लोगों तक पहुंच सके। इस काम को करने के लिए उन्होंने गणपति उत्सव को चुना और इसे सुंदर भव्य रूप दिया जिसे आज हम देखते हैं। तिलक के इस कार्य से दो फायदे हुए, एक तो वह अपने विचारों को जन-जन तक पहुंचा पाए और दूसरा यह कि इस उत्सव ने आम जनता को भी स्वराज के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी और उन्हें जोश से भर दिया। इस तरह से गणपति उत्सव ने भी आज़ादी की लड़ाई में एक अहम् भूमिका निभाई। तिलक जी द्वारा शुरू किए गए इस उत्सव को आज भी भारतीय पूरी धूमधाम से मना रहे हैं और आगे भी मनाते रहेंगे।
             भारत में गणेश उत्सव का त्यौहार भाद्रपद माह (अगस्त और सितंबर) में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी में मनाया जाता है| गणेश उत्सव 11 दिन का एक विशाल महोत्सव होता है जिसे पूरे भारत-वर्ष में हर्सोल्लास से मनाया जाता है| खासकर महाराष्ट्र में यह पर्व सबसे ज़्यादा धूमधाम से मनाया जाता है| यह वहां का प्रमुख त्यौहार होता है| लोग गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की प्रतिमा को अपने घरों और मोहल्ले में स्थापित करते हैं| रोज़ाना मन्त्रों का उच्चारण और गणेश आरती गाकर हर्षोल्लास से गणेश जी की पूजा करते हैं तथा समस्त कष्टों को हरने की कामना करते हैं| भगवान गणेश को विघ्नहारी भी कहा जाता है क्योंकि वह विघ्नों को हरने वाले और मंगलकारी हैं| इस 11 दिवसीय उत्सव के बाद गणेश भगवान की प्रतिमा को समुद्र, नदी, तालाब आदि जगहों पर विसर्जित किया जाता है। परंतु दुख की बात यह है कि कई प्रतिमाएं शुद्ध मिट्टी की ना होते हुए प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाई जाती है जो पानी में पूर्णता नहीं घुलतीं। जिसकी वजह से जल प्रदूषित होता है और कई विषैले तत्व शुद्ध पानी को अशुद्ध कर देते हैं जिससे जल के जीवों को भी नुकसान होता है। मूर्ति पूर्णता: पानी में ना घूलने की वजह से वह खंडित होती है और गणेश जी का अपमान होता है। इसलिए बप्पा की प्रतिमा खरीदते समय इस बात का विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए की मूर्ति मिट्टी की बनी हो तथा इसका विसर्जन घर में ही एक बाल्टी में किया जाना चाहिए। मूर्ति पानी में घूलने के बाद पानी को घर के बगीचे में लगे पौधों में डाल दिया जाना चाहिए। जिससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा और गणेश जी का भी अपमान नहीं होगा। दोस्तों! एक और अनोखा विचार आप लोगों से साझा करना चाहती हूं। क्यों ना हम लोग फिटकरी के गणेश जी बनाएं। विसर्जन के बाद फिटकरी पानी को साफ रखने में सहायक होगी। यह एक अनोखी पहल हो सकती है।
          आशा है इस गणेश उत्सव से आप उपरोक्त बताई गई बातों को ध्यान में रखकर इस त्यौहार को धूमधाम से मनाएंगे। विघ्नहर्ता गणेश जी आपके सभी विघ्न और दुख को हर लें तथा आपकी हर मनोकामना पूर्ण करें। इसी के साथ आप सभी को इस गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

" गणपति बप्पा मोरिया "


3 comments:

  1. 🙏गणपती बाप्पा मोरया 🙏🙏🙏

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  2. Jai Shree Ganesh......Bohot Badiya Bhakti - Tyohaar ki Importance👌🏻......Proud to be Indian Ganpati Bappa Morya Purcha Varshi Loukariyaa🕉🔔🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻also save water - Good Message 👌🏻

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