घरौंदा: सीख एक चिड़िया की
- सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
प्रकृति की एक खूबसूरत रचना है - चिड़िया। यह नन्हीं-सी चिड़िया जब अंडे से बाहर निकलती है, तो यह सोच बड़ी ही उत्सुक होती है, कि बाहर की यह दुनिया कितनी सुंदर, कितनी निराली होगी? जब वह बहुत छोटी-सी होती है तब उसके माता-पिता उसे दाना-पानी लाकर देते हैं। वह छोटी-सी चिड़िया अपने घोंसले को ही अपनी दुनिया समझने लगती है। पर वह अब धीरे-धीरे बड़ी होने लगती है। और एक दिन उसके माता-पिता उसे कहते हैं कि, "बेटा अब तुम्हारी शिक्षा का वक्त आ गया है, अब वक्त आ गया है कि तुम भी अपने पंख फैलाकर इस नील गगन में ऊंची उड़ान भरो।" यह सुन वह चिड़िया बड़ी ही खुश होती है और सोचने लगती है ऊंचे नील गगन में उड़ते हुए वह सुंदर प्राकृतिक दृश्य, ऊंचे-ऊंचे झरने देख पाएगी। पर जैसे ही उड़ान भरने के लिए वह अपने घोंसले से बाहर निकलती है और पेड़ से नीचे झुक कर देखती है तो घबरा जाती है और अपनी मां से कहती हैै, "मां, मैं यदि इस पेड़ से छलांग लगाऊं और अपने पंख फैलाकर उड़ ना पाऊं तो मैं तो जमीन पर गिर जाऊंगी, मुझे चोट लग जाएगी और फिर मैं कभी भी इस नील गगन में उड़ नहीं पाऊंगी।" उस नन्हीं- सी चिड़िया का डर देख कर उसकी मां उसे समझाती है, कि "तुम जमीन पर कभी गिर ही नहीं सकती क्योंकि तुम्हारे पास पंख है। तुम जब इस पेड़ से उड़ने के लिए छलांग मारोगी तो पक्षी जात के कारण तुम अपने पंख फैलाकर उड़ना सीख जाओगी। और यदि तुम्हें फिर भी डर लगे तो यह कभी मत भूलना तुम्हें संभालने के लिए तुम्हारे भाई-बहन, तुम्हारे मित्र हैं ही, व हमेशा तुम्हारे साथ चलने वाले तुम्हारे पिता भी है, और मैं तो हूं ही ना। मेरी ममता तुम्हें कभी कुछ भी नहीं होने देगी।" यह सुन उस नन्हीं-सी जान को थोड़ा धीरज मिला। वह चिड़िया अपनी आंखें बंद कर अपने घोंसले से बाहर आई और पेड़ की डाली से कूद पड़ी और देखते-ही-देखते वह अपने पंख फैलाकर इस नील गगन में उड़ने लगी। यह नन्हीं-सी चिड़िया कब बड़ी हो गई पता ही नहीं चला। और एक दिन रोज़ की तरह इस नील गगन में उड़ने के लिए निकल पड़ी। इतनी दूर उड़ गई कि वह किसी को भी नजर नहीं आई। न जाने वह कहां चली गई? जिस चिड़िया को उसके मां-बाप ने जन्म दिया, ऊंचे गगन में उड़ना सिखाया, स्वावलंबी बनाया, उस पर अच्छे संस्कार दिए, उसके मित्रों ने उसे पग-पग पर साथ दिया, भाई-बहन ने हमेशा उसे प्रोत्साहित किया, न जाने वह उन सबको छोड़ इस नील गगन में कहां गुम हो गयी?
मनुष्य अपने जीवन के कितने ही उच्च पद पर ही क्यों ना हो, कितना ही बड़ा क्यों न हो गया हो, कितना ही यशस्वी क्यों ना हो गया हो, और जग में कहीं भी हो उसे अपने मां-बाप, अपने मित्रों, भाई-बहन को कभी नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने उसका हर वक्त हर समय साथ दिया हो। मनुष्य का यह यशस्वी होने का अहंकार उसे कभी पीछे मुड़कर देखने नहीं देगा। पर यदि भविष्य में कभी उसने ठोकर खाई और इस ठोकर की वजह से वह कभी गिरा भी तो उसे संभालने वाला भी कोई नहीं होगा। इसीलिए मनुष्य चिड़िया तो नहीं बन सकता पर चिड़िया का एक उत्तम गुण जरूर अपना सकते है। जिस प्रकार सुबह भोर होते ही चिड़िया अपने घोंसले से अपना दाना-पानी एकत्रित करने के लिए धरती पर दिनभर भटकती है, पर सूर्यअस्त के समय वह अपने घोंसले में पुनः लौट ही आती है।
उपरोक्त उल्लेख की गई चिड़िया की चिंता आप मत कीजिए, वह आकाश में कितना ही ऊंचा क्यों ना उड़ी हो वह शाम को अपने घर लौट ही आई होगी। इस कहानी की शिक्षा यह है कि मनुष्य को अपनी किसी भी बात का कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। हमेशा अपने लोगों से, अपनी मिट्टी से जुड़े रहना चाहिए। मनुष्य कितनी ही ऊंचाइयों को क्यों ना छू ले उसे लौट कर तो अपनों के पास ही आना ही पड़ता है। मनुष्य को यह कभी नहीं पाता होता है कि उसे अपने जीवन में कब कौन से रिश्ते की आवश्यकता पड़ेगी। इंसान को इंसान की ही ज़रूरत होती है। यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि सभी को साथ लेकर और सभी के साथ ही सदैव चलना चाहिए। मनुष्य यदि अपने जीवन में चिड़िया का यह उत्तम गुण सीख ले तो वह अपनों से अलग होे जाने की गलती शायद कभी ना करे।
सत्य वचन-
उपरोक्त उल्लेख की गई चिड़िया की चिंता आप मत कीजिए, वह आकाश में कितना ही ऊंचा क्यों ना उड़ी हो वह शाम को अपने घर लौट ही आई होगी। इस कहानी की शिक्षा यह है कि मनुष्य को अपनी किसी भी बात का कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। हमेशा अपने लोगों से, अपनी मिट्टी से जुड़े रहना चाहिए। मनुष्य कितनी ही ऊंचाइयों को क्यों ना छू ले उसे लौट कर तो अपनों के पास ही आना ही पड़ता है। मनुष्य को यह कभी नहीं पाता होता है कि उसे अपने जीवन में कब कौन से रिश्ते की आवश्यकता पड़ेगी। इंसान को इंसान की ही ज़रूरत होती है। यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि सभी को साथ लेकर और सभी के साथ ही सदैव चलना चाहिए। मनुष्य यदि अपने जीवन में चिड़िया का यह उत्तम गुण सीख ले तो वह अपनों से अलग होे जाने की गलती शायद कभी ना करे।
सत्य वचन-
गलतियां जीवन का एक पन्ना है,
परंतु रिश्ते पूरी किताब,
समय आने पर गलतियों का पन्ना फाड़ देना,
पर एक पन्ने के लिए पूरी किताब कभी मत खोना।

उत्कृष्ट.. चिड़िया की कहानी के माध्यम से मनुष्य के जीवन की सच्चाई का वर्णन बहुत ही सटीक है।
ReplyDeleteVery Nice story. 👌👍
ReplyDeleteखुप छान,जस अधी आई वडिलांना मुलांची काळजी असते तसेच मुलानि पण अपलि समाजा प्रति 🏠 प्रति जिम्मेदारी समजून अपले कर्तव्य पुर्ण करावे,छान शिकवुण आहे.
ReplyDeleteशैशव भटनागर :
ReplyDeleteसही बात है भक्ति बोहोत अच्छा प्रयास
Mother Bird : तुम जमीन पर कभी गिर ही नहीं सकती क्योंकि तुम्हारे पास पंख है।
That is Knowledge....
अगर सही दिशा मै ज्ञान दिया जाए तो मनुष्य कबी भी विचलित नहीं होसक्ता ।।