Saturday, 30 March 2019

दृष्टिकोण: व्यक्तित्व का दर्पण | Hindi


दृष्टिकोण: व्यक्तित्व का दर्पण


-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर

      
 उपरोक्त विषय के बारे में चर्चा करने से पूर्व मैं आप सभी से एक प्रश्न पूछना चाहती हूं। आपने यह प्रश्न कई बार सुना होगा या कभी किसी ने आप से यह प्रश्न किया भी होगा!!! 'यदि हमारे सामने आधा पानी से भरा ग्लास रखा हो तो हम उस ग्लास के बारे में क्या कहेंगे??? आप में से कुछ लोग अपनी राय देंगे कि ग्लास आधा खाली है और शायद कुछ लोग यह कहेंगे कि ग्लास आधा भरा हुआ है। व्यक्ति का किसी भी वस्तु या किसी भी बात को लेकर क्या नज़रिया है, यही उसका दृष्टिकोण कहलाता है। जिस दृष्टिकोण से वह वस्तुओं को सोचता है, समझता है और परखता हैै वह उसके स्वभाव का एक अभिन्न अंग बन जाता है। व्यक्ति के नकारात्मक अथवा सकारात्मक दृष्टिकोण से ही उसके व्यक्तित्व निर्माण होता है। अर्थात दृष्टिकोण ही किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का दर्पण होता है। उपरोक्त पूछे गए प्रश्न में यदि किसी व्यक्ति का उत्तर आधा ग्लास खाली हैं, तो उस व्यक्ति का किसी भी वस्तु को देखने का या परखने का नज़रिया प्राथमिक रूप से नकारात्मक है और यदि किसी व्यक्ति का उत्तर ग्लास आधा पानी से भरा है तो उस व्यक्ति का नज़रिया सकारात्मक है।

              मैंने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर देखी जिसे में आपके साथ साझा करना चाहती हूं। उसे देख यह प्रेरणा मिली कि व्यक्ति की खुशी और उसका दुख उसकी सोच और पॉजिटिव या नेगेटिव दृष्टिकोण पर आधारित होता है।



                                                  



             यह तस्वीर में जैसा कि आप देख पा रहे हैं कि स्कूल में किसी प्रतियोगिता में प्रथम आने वाला बच्चा मायूस खड़ा है। वहीं दूसरी ओर तीसरा स्थान प्राप्त करने वाला बच्चा इतना खुश है मानो उसने कोई जंग जीत ली हो। बिल्कुल सही कहा है इस तस्वीर में 'Happiness is a state of mind' अर्थात 'खुशी दिमाग की एक अवस्था है' ठीक इसी तरह यदि कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी की दौड़ में प्रथम स्थान भी प्राप्त कर ले किंतु उसका दृष्टिकोण नकारात्मक और स्वभाव में असंतोष हो तो इस प्रकार का दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति को दुनिया की सबसे बहुमूल्य वस्तु भी मिल जाए तो भी उस व्यक्ति का नज़रिया सदैव नकारात्मक ही रहेगा। और इस प्रकार के व्यक्ति का व्यक्तित्व सभी के समक्ष नकारात्मक दृष्टिकोण का उदाहरण बनता है जिस प्रकार प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले बच्चे का नज़र रहा है। और तो और वहीं दूसरी तरफ़ तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले बच्चे की तरह यदि व्यक्ति संतोषी, अपनी जिंदगी को पूर्ण रूप से आशावादी और सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने वाला हो तो उसके जीवन में आने वाली किसी भी प्रकार की विकट परिस्थिति में ना घबरा कर वह उसका हंसते खेलते डट कर सामना करने में सदैव सक्षम रहता है। फिर चाहे वह अपनी ज़िंदगी की दौड़ में तीसरे स्थान पर क्यों ना आए। वह उस बात का जश्न भी इस तरह मनाता है मानों उसने दुनिया की सबसे बहुमूल्य वस्तु हासिल कर ली हो। ऐसे व्यक्ति को अपना व्यक्तित्व चमकाने की जरूरत नहीं होती। वह चारों ओर अपनी सादगी से सितारों की तरह चमकता रहता है। 

             प्रत्येक वस्तु को नकारात्मक दृष्टि से देखने  वाले व्यक्ति कि यह सोच उस पर कई बार इस प्रकार से हावी हो जाती है कि उसे अपने आसपास कुछ भी अच्छा नजर नहीं आता है। हमेशा इस प्रकार के व्यक्ति के व्यक्तित्व में उदासी निराशा ही नजर आने लगती है और अपने इस प्रकार के दृष्टिकोण के कारण वह अपने भाग्य को कोसने लगता है। वह अपने जीवन का एक ही पहलू देख पाता है क्योंकि दूसरे पहलू को उसकी यही नकारात्मकता और निराशावादी की चादर उसे देखने ही नहीं देती। दूसरा पहलू अर्थात क्या?? दूसरा पहलू यह व्यक्ति का सकारात्मक दृष्टिकोण। हर प्रकार की वस्तुओं को बातों को सकारात्मक दृष्टि से देखना। उस पर सदैव सकारात्मक विचार करना तथा हर छोटी-छोटी बातों में खुशियां ढूंढ लेना और सभी में इन खुशियों को बांटना। यह दृष्टिकोण व्यक्ति के उज्जवल स्पष्ट व्यक्तित्व का दर्पण होता है। इसी प्रकार नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति शायद यही सोचते होंगे कि हमारे अलावा हर मनुष्य का भाग्य अच्छा होता है। परंतु ऐसा नहीं है, मनुष्य के जीवन में हमेशा वहीं होता है जो ईश्वर ने उसके भाग्य में लिखा हो और उसे कोई बदल नहीं सकता। पर हां, भाग्य को नई दिशा देना यह मनुष्य के अपने ही हाथों में है। मनुष्य अपने कर्म और दृष्टिकोण से अपने भाग्य को एक नई दिशा जरूर दे सकता है।

            परेशानियां तो हर व्यक्ति के जीवन में होती है। बस उन परेशानियों को समझने का हर व्यक्ति का नज़रिया सही सकारात्मक होना चाहिए। तो मनुष्य हर प्रकार की परिस्थितियों का सामना कर सकता है। मनुष्य का नज़रिया अर्थात दृष्टिकोण ही उसके व्यक्तित्व के निर्माण का अहम हिस्सा होता है और वही उसके व्यक्तित्व का दर्पण भी होता है।



जीवन में कितनी ही बड़ी आंधियां क्यों ना आएं

उसका दुख तुम कभी मत मनाओ।

बड़े से बड़ा तूफान तुम से टकराकर वापस चले जाए,

खुद को तुम इतना सक्षम बनाओ।

11 comments:

  1. Bhakti Congratulation Bohot Accha Likha Hai or Sach Hai Har Pal ko Muskurakar Jina Chaiye....SHAISHAV BHATNAGAR

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  2. Very nice thought Bhakti really I like it. 👌👍

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  3. Great thought, Fair enough to live life. Altamash Ali

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  4. Har baat ko tum Bahut beautifully define kar deti hu, great thoughts

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  5. Beautiful approach towards situation

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  6. Beautiful approach towards situation

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  7. Very nice and motivating article, very well drafted and thoughts are conveyed beautifully.
    May God bless you always
    Looking forward for more articles.
    Mukta Chimnani

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