होशियार बकरी
-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. ए.
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एक गांव में एक किसान के पास भूरी नाम की एक बकरी थी। जिसके तीन छोटे बच्चे थे। जिनका किसान बहुत अच्छी तरह से ख्याल रखता था। किसान का घर गांव में सबसे आखिरी में जंगल के पास था। भुरी ने अपने बच्चों को बताया था कि उन्हें जंगल की ओर कभी नहीं जाना है वहां अन्य जंगली जानवर उन्हें कुछ भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एक दिन भूरी के एक बच्चे ने किसान के बेटे को किसी से बात करते सुना कि जंगल में बहुत सारा हरा चारा चारों तरफ फैला हुआ है। यह बात सुन भूरी के उस बच्चे में हरी घास खाने का लालच पैदा हुआ और वह हरी घास खाने जंगल की ओर निकल पड़ा। जब भूरी को इस बात का पता चला तो वह अपने बच्चे को ढूंढने के लिए जंगल की ओर निकल पड़ी। बुरी का बच्चा जंगल में थोड़ी दूर तक पहुंचा ही था की अचानक तीन सियार उसके सामने आ गए और वह उस बच्चे को अपना आहार बनाने के बारे में सोच ही रहे थे कि तब तक भूरी भी अपने बच्चे को ढूंढती हुई वहां पहुंच गई।
सियारों को अपने इर्द-गिर्द देखकर पहले वह भी थोड़ी घबराई लेकिन अगले ही क्षण अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल करते हुए उसने एक तरकीब सोची और सियारों से कहा कि उसे और उसके बच्चे को यहां शेर छोड़ गया है आज वह शेर का शिकार हैं। यदि सियार उसे और उसके बच्चे को खा जाएंगे तो शेर उन्हें नहीं छोड़ेगा। उन सियारों को भूरी की बात झूठ लगी। तभी बुरी को वहां अचानक एक हाथी नज़र आया और उसने उन सियरों से कहा देखो शेर राजा ने हाथी को हमारी निगरानी के लिए रखा है यदि तुमने हमें हाथ भी लगाया तो हाथी शेर को तुम्हारे बारे में बता देगा कि तुम ने ही हम दोनों का शिकार किया है और फिर शेर राजा तुम्हें दंडित करेंगे। पास ही हाथी खड़ा देख सियारों को भुरी की बात सही लगी और शेर के डर से वे वहां से चले गए। भूरी तेज़ी से अपने बच्चे को लेकर वापस गांव आ गई। उसे अपने बच्चे के साथ सही सलामत देख उसके दूसरे बच्चे और किसान का परिवार बहुत खुश हुआ।
शिक्षा- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आपके सामने कितनी ही कठिन परिस्थिति ही क्यों ना आ जाए आपको बिना डरे, शांत मन से अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए, सूझबूझ से काम लेते हुए उस परिस्थिति से बाहर निकलने का प्रयत्न करना चाहिए।

Wow..very nice story and great moral behind it.
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