Thursday, 5 March 2020

एक लोटा दूध | Hindi

एक लोटा दूध

-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. .



            बहुत समय पहले की बात है, काफी दिनों से बारिश ना होने की वजह से एक गांव में सूखा पड़ गया था। हर तरफ हाहाकार मच गया। पानी की कमी के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। गांव में केवल एक ही आचार्य थे जो पढ़े-लिखे थे। लोगों ने उनसे इस समस्या के समाधान के लिए कोई उपाय खोजने को कहा। आचार्य ने सूखे को रोकने और गांव में बारिश हो जाए इसके लिए बहुत सारे प्रयास किए। लेकिन कोई भी प्रयास सफल नहीं हुआ। गांव में सूखे की समस्या पहले की तरह ही बनी हुई थी। गांव के लोगों के सामने सभी रास्ते बंद हो चुके थे। 
              बहुत दुखी हो कर और हाथ जोड़कर सभी गांव वाले भगवान से प्रार्थना करने लगे। तभी वहां भगवान द्वारा भेजा गया एक दूत पहुंचा और उसने गांव के लोगों से उनकी परीक्षा लेते हुए कहा, "अगर आज रात सभी लोग गांव के कुएं में बिना झाके एक लोटा दूध डालेंगे तो कल से ही आपके गांव में सूखे की समस्या कम हो जाएगी और बारिश हो जाएगी।" गांव के लोग खुश हुए और सभी लोग एक लोटा दूध डालने के लिए तैयार हो गए। रात को जब गांव के सभी लोग कुएं में दूध डालने लगे तब गांव के एक कंजूस व्यक्ति ने सोचा कि गांव के सभी लोग उस कुएं में तो दूध डालेंगे ही, अगर अकेला वह‌ कुएं में एक लोटा पानी डाल देगा तो रात के अंधेरे में किसी को पता नहीं चलेगा। यह सोचकर उसने कुएं में एक लोटा पानी डाल दिया।
          अगले दिन लोगों ने बारिश का इंतजार किया लेकिन अभी भी गांव में सूखा पड़ा हुआ था और बारिश का कोई नामोनिशान तक नहीं था। सब कुछ पहले जैसा ही था। लोग सोचने लगे की दूत की कही हुई बात सत्य साबित क्यों नहीं हुई? इस बात का पता लगाने के लिए सभी उस कुएं की तरफ़ देखने के लिए गए। उन्होंने कुएं में झांककर देखा तो सभी हैरान रह गए। पूरा कुआं केवल पानी से भरा हुआ था। उसमें एक भी बूंद दूध की नहीं थी। सभी ने एक दूसरे की ओर देखा और तभी सब समझ गए कि सूखे की समस्या अभी तक समाप्त क्यों नहीं हुई। दोस्तों, ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि जो बात उस कंजूस आदमी के दिमाग में आई थी कि सभी लोग तो दूध डालेंगे अगर वह एक लोटा पानी डाल देगा तो रात के अंधेरे में किसी को पता नहीं चलेगा, यही बात पूरे गांव वालों के दिमाग में भी आई थी और सभी ने दूध की जगह एक लोटा पानी कुएं में डाल दिया।

शिक्षा- दोस्तों! जो कुछ इस कहानी में हुआ आजकल यह हम सब के जीवन में होना एक सामान्य बात है। हम कहते हैं कि हमारे अकेले के बदलने से क्या समाज बदल जाएगा? पर याद रखिए अपने काम की ज़िम्मेदारी दूसरों पर डाले बिना काम को ईमानदारी और मेहनत से कर हम अकेले ही समाज में बदलाव लाने के लिए सक्षम है। याद रखिए, बूंद-बूंद से ही सागर बनता है। हम बदलेंगे, तभी हमारा देश बदलेगा।




Wednesday, 4 March 2020

ईमानदारी का ईनाम | Hindi

ईमानदारी का ईनाम


-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. ए.


        एक समय की बात है एक छोटे से कस्बे में जो एक नदी के किनारे बसा था, वहां मोनू नाम का एक आदमी रहता था। जो पेशे से पेंटर था। लोगों के घरों की पुताई करके इतना कमा लेता था कि बस पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी मिल जाती थी। मोनू बहुत ही मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था। एक दिन उस कसबे का जमींदार मोनू के पास आया और उसे कहा कि वह उसकी नाव को सुंदर रंगों से रंग दे। जमींदार उसे उसका मेहनताना जो मोनू कहेगा वह दे देगा। नाव देखकर मोनू ने जमींदार से नाव को रंगने का शुल्क निश्चित किया। मोनू ने तुरंत अपना काम शुरू किया। लेकिन उसने देखा कि नाव में एक बड़ा छेद था। उसने अपनी सूझबूझ और ईमानदारी के चलते सबसे पहले नाव को दुरुस्त किया और फिर उस नाव को रंगा। खूबसूरत रंगी हुई नाव देखकर जमींदार खुश हुआ और उसने मोनू से कहा कल शाम को आकर अपना मेहनताना ले जाना। 
       अगले ही दिन सुबह जमींदार का परिवार उस नाव में सवार होकर नदी की सैर करने के लिए निकल गया। एक महीने की छुट्टी के बाद जमींदार के घर काम करने वाला नौकर उसी दिन लौटा और बाहर नाव ना देखकर जमींदार से नाव के बारे में पूछने लगा। जमींदार ने बताया कि उसका परिवार नाव में सवार होकर नदी में सैर करने के लिए गया है। यह सुनते ही नौकर ने जमींदार को बताया कि उस नाव के नीचे एक छेद था। यह बात सुनते ही जमींदार के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। लेकिन तभी नदी की सैर करके जमींदार का परिवार सकुशल घर लौट आया। यह देख जमींदार बहुत खुश हुआ।
        जब शाम को मोनू अपना मेहनताना लेने जमींदार के पास पहुंचा तो जमींदार ने मोनू को तय रुपए से अधिक रुपए दिए। जब मोनू ने रुपए गिने तो उसने जमींदार से कहा कि उन्होंने उसे गलती से अधिक रुपए दे दिए हैं। यह बात सुन जमींदार ने मोनू से कहा की उसने नाव के नीचे का छेद अपना काम समझकर ईमानदारी से दुरुस्त कर दिया और  ना ही उसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क मांगा। यदि वह ऐसा नहीं करता तो उसका परिवार नदी में बह जाता और वह अपने परिवार को खो देता। मोनू की सच्ची ईमानदारी और मेहनत से खुश होकर अधिक धन भेंट स्वरूप दिए।

शिक्षा- इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है की मेहनत के साथ-साथ मनुष्य को हर काम ईमानदारी से करते रहना चाहिए क्योंकि ईमानदारी का ईनाम मनुष्य को अपने जीवन में अवश्य मिलता है।


Tuesday, 3 March 2020

आलसी बेटा | Hindi

आलसी बेटा


-सौ भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. ए.


एक छोटे शहर में एक व्यापारी रहता था। उसका बेटा बहुत आलसी था और हमेशा सोता ही रहता था। व्यापारी की दिनचर्या शिव मंदिर जाने के बाद अपने कारखाने जाकर अपना काम करना था। व्यापारी बहुत मेहनती और कर्मठ था। वह हमेशा अपने बेटे से कहता था कि वह उसके साथ जाकर व्यापार किस तरह किया जाता है यह समझे और जाने क्योंकि भविष्य में उसे ही पूरा व्यापार संभालना है। पर अपने आलस्य के कारण व्यापारी का बेटा उसकी बात नहीं मानता था। एक दिन व्यापारी बहुत बीमार पड़ा। धीरे-धीरे सारा धन उसके इलाज में खर्च होता गया। व्यापारी को अपनी बीमारी के चलते व्यापार में ध्यान नहीं देने के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था। फिर भी व्यापारी का आलसी बेटा किसी भी बात पर ध्यान नहीं दे रहा था और आलस्य में हमेशा सोता रहता था।
एक बार उसकी मां ने कहा कि जाकर अपने कारखाने में देखो कि ठीक तरह से काम हो रहा है या नहीं। उसने अपनी मां की बात यह कह कर टाल दी कि उसे तो इन सब बातों का कोई ज्ञान ही नहीं है। कभी अपने पिता के साथ वह व्यापार सीखने नहीं गया। फिर उसकी मां ने उसे एक उपाय सुझाया कि उसे अपने नाना के पास, जो पास ही के गांव में रहते हैं, जाकर सलाह लेनी चाहिए की उसे व्यापार बचाने के लिए क्या करना चाहिए। अगले ही दिन वह अपने नाना के गांव गया। वहां नाना ने उसे सलाह दी कि वह अपने पिता की तरह दिनचर्या अपनाए और मेहनत करे। नाना ने उससे इस सलाह पर अमल करने का वादा भी करवाया। अगले दिन वह अपने शहर लौटा।
अपने पिता की तरह ही सुबह शिव मंदिर जाकर रोज़ कारखाने जाने लगा। उसे कारखाने में देख जो लोग गलत काम कर रहे थे जिससे व्यापार में नुकसान हो रहा था वह सावधान हो गए और ठीक से काम करने लगे। धीरे-धीरे व्यापार फिर से अच्छा चलने लगा। व्यापार के मुनाफे के पैसों से उसने अपने पिता का पूरा इलाज करवाया जिससे वह जल्दी ठीक हो गए और दोनों पिता-पुत्र मिलकर व्यापार करने लगे। सब पहले की तरह सामान्य होता देख वह अपने नाना को उनकी सलाह के लिए धन्यवाद देने दोबारा उनके गांव पहुंचा। उसके नाना ने कहा कि यह उनकी सलाह से नहीं बल्कि उसके आलस्य त्याग कर मेहनत का रास्ता अपनाने से संभव हो पाया है।

शिक्षा- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। आलस्य को त्याग कर, निष्ठा और मेहनत से अपना काम करें तो ही अपने जीवन में सफल हो पाएंगे।

Sunday, 1 March 2020

होशियार बकरी | Hindi

होशियार बकरी


-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. ए.

आर्टिकल को और भी रोचक बनाने के लिए आर्टिकल का ऑडियो, मेरी आवाज़ में। इसे सुनने की लिए नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करें।


           एक गांव में एक किसान के पास भूरी नाम की एक बकरी थी। जिसके तीन छोटे बच्चे थे। जिनका किसान बहुत अच्छी तरह से ख्याल रखता था। किसान का घर गांव में सबसे आखिरी में जंगल के पास था। भुरी ने अपने बच्चों को बताया था कि उन्हें जंगल की ओर कभी नहीं जाना है वहां अन्य जंगली जानवर उन्हें कुछ भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। 
      एक दिन भूरी के एक बच्चे ने किसान के बेटे को किसी से बात करते सुना कि जंगल में बहुत सारा हरा चारा चारों तरफ फैला हुआ है। यह बात सुन भूरी के उस बच्चे में हरी घास खाने का लालच पैदा हुआ और वह हरी घास खाने जंगल की ओर निकल पड़ा। जब भूरी को इस बात का पता चला तो वह अपने बच्चे को ढूंढने के लिए जंगल की ओर निकल पड़ी। बुरी का बच्चा जंगल में थोड़ी दूर तक पहुंचा ही था की अचानक तीन सियार उसके सामने आ गए और वह उस बच्चे को अपना आहार बनाने के बारे में सोच ही रहे थे कि तब तक भूरी भी अपने बच्चे को ढूंढती हुई वहां पहुंच गई। 
       सियारों को अपने इर्द-गिर्द देखकर पहले वह भी थोड़ी घबराई लेकिन अगले ही क्षण अपनी सूझबूझ का इस्तेमाल करते हुए उसने एक तरकीब सोची और सियारों से कहा कि उसे और उसके बच्चे को यहां शेर छोड़ गया है आज वह शेर का शिकार हैं। यदि सियार उसे और उसके बच्चे को खा जाएंगे तो शेर उन्हें नहीं छोड़ेगा। उन सियारों को भूरी की बात झूठ लगी। तभी बुरी को वहां अचानक एक हाथी नज़र आया और उसने उन सियरों से कहा देखो शेर राजा ने हाथी को हमारी निगरानी के लिए रखा है यदि तुमने हमें हाथ भी लगाया तो हाथी शेर को तुम्हारे बारे में बता देगा कि तुम ने ही हम दोनों का शिकार किया है और फिर शेर राजा तुम्हें दंडित करेंगे। पास ही हाथी खड़ा देख सियारों को भुरी की बात सही लगी और शेर के डर से वे वहां से चले गए। भूरी तेज़ी से अपने बच्चे को लेकर वापस गांव आ गई। उसे अपने बच्चे के साथ सही सलामत देख उसके दूसरे बच्चे और किसान का परिवार बहुत खुश हुआ।

शिक्षा- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आपके सामने कितनी ही कठिन परिस्थिति ही क्यों ना आ जाए आपको बिना डरे, शांत मन से अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए, सूझबूझ से काम लेते हुए उस परिस्थिति से बाहर निकलने का प्रयत्न करना चाहिए।



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