Saturday, 25 January 2020

Incredible Bharat | Hindi

Incredible Bharat

- सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर

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 इस दिन के लिए वीरों ने अपना खून बहाया है,
झूम उठिए देशवासियों गणतंत्र दिवस फिर आया है,
दे सलामी इस तिरंगे को जिससे तेरी शान है,
सर हमेशा ऊंचा रखना इसका जब तक दिल में जान है।
गणतंत्र दिवसइस  दिन आज़ाद  भारत का  संविधान लागू किया गया था। भारतीय लोकतांत्रिक सभा ने संविधान को 26 नवंबर 1949  को मान्य किया था और इसे देश की  लोकतांत्रिक सरकार द्वारा  26 जनवरी 1950  को संविधान के  रूप में  पारित किया  गया। देश के  संविधान  को डॉक्टर  भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में बनाया गया था। दोस्तों! आज हम सभी मिलकर हमारा 71 वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। आप सभी को तहे दिल से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 
    दोस्तों! हमारा प्यारा भारत देश अत्यंत प्राचीन संस्कृति वाला एक महान व सुंदर देश है। यह एक ऐसा पावन देश है जहां देवी-देवताओं ने भी जन्म लिया है। यह देश किसी स्वर्ग से कम नहीं है। क्या खूब कहा गया है, "जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"। भारत देश संसार का शिरोमणि है। प्राकृतिक रूप से यह सबसे अनूठा है। छः ऋतुएं बारी-बारी से आकर इसका श्रृंगार करती रहती हैं। ऐसा लगता है मानो खुद पृथ्वी ने इसे अपने हाथों से सजाया है। तीन ओर से समुद्र मानो हमेशा भारत मां की चरण वंदना करते हैं और हिमालय भारत मां के मुकुट की तरह सुशोभित है। नदियां भारत मां के गले का हार हैं। चारों ओर छाई हुई हरियाली भारत माता के सुंदर वस्त्र हैं।
भारत देश से ज्ञान का प्रकाश पूरे विश्व में फैला है। यह वही देश है जिसने वेद, पुराण, उपनिषद और गीता का ज्ञान, योग और आयुर्वेद संसार को दिया है। इसी ज्ञान के कारण ही तो भारत जगत-गुरु है। प्राकृतिक दृष्टि से यह देश सर्वाधिक सुंदर है और अपने धन-वैभव के लिए सोने की चिड़िया के नाम से भी जाना जाता है। हमारे देश में भौगोलिक विभिन्नताएं भी एक से बढ़कर एक हैं। जहां एक ओर हरियाली है, तो दूसरी ओर जंगल। एक ओर हिमखंड पर्वत शिखर है, तो दूसरी ओर तपे मरुस्थल। देश की प्राकृतिक बनावट, यहां की जलवायु, खान-पान, वेषभूषा तथा संस्कृति अपने आप में विविधताओं का सागर है। हमारा प्यारा देश भारत अनेकता में एकता का अलौकिक उदाहरण है। इस देश में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघरों के दर्शन होते हैं। हज़ारों भाषाएं और धर्म इसी धरती पर फलते-फूलते हैं और सभी संस्कृतियों में यहां एकता व एक दूसरे के प्रति सम्मान दिखाई पड़ता है। भारत भूमि द्वारा ही संसार को विश्व-बंधुत्व व पंचशील का सिद्धांत दिया गया है तथा सत्य, अहिंसा, त्याग, दया आदि ह्यूमन वैल्यू की प्रेरणा भी दी है।
भारत देश अनेक महापुरुषों की भूमि है। इस धरा पर गौतम बुद्ध, महावीर, विवेकानंद जैसे महापुरुष हुए हैं। इसी भूमि पर तुलसीदास, कबीर, कालिदास, रविंद्रनाथ टैगोर जैसे कवि व समाज सुधारक हुए तथा इसी भूमि पर रामानुजन, आर्यभट्ट जैसे महान गणितज्ञ व वैज्ञानिक हुए। भारत देश को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने के लिए सभी देशवासी कंधे-से-कंधा मिलाकर कार्य करते रहे हैं। हमारा देश विकासशील देशों की श्रेणी में सर्वप्रथम स्थान पर है और वो समय दूर नहीं है जब हमारा देश साइंस एंड टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्रियल, इकनोमिक और सोशल दृष्टि से विश्व का सर्वश्रेष्ठ देश बनेगा। भारतवर्ष की विशेषताओं के कारण जर्मन के विद्वान मैक्सम्यूलर ने कहा था, "पूरे विश्व में हम यदि किसी ऐसे देश की बात करें जिसे प्रकृति ने सर्वसंपन्न तथा सुंदर बनाया है, तो मैं भारत की ओर संकेत करूँगा।" यह प्रत्येक भारतवासी के लिए अत्यंत ही गर्व की बात है। सच भारत अतुल्य है। इसी तरह हमारे देश की गरिमा बनाए रखने के लिए और देशभक्ति की प्रेरणा जगाए रखने के लिए इन चंद पंक्तियों द्वारा मेरी एक छोटी सी कोशिश-

हे इंसान नफरत ना कर इंसान से तू,
यह नफरत है बुरी जान ले इस बात को तू,
अमीरी-गरीबी का भेद छोड़ मिल जुलकर रह तू,
जाति-धर्म के झगड़े बिना भाई चारे के साथ रह तू,
भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त भारत बना तू,
तेरा, मेरा, इसका, उसका कह विवाद ना कर तू,
अपने स्वार्थ में बर्बाद ना होने दे इस देश को तू,
मातृभाषा के साथ विविध भाषियों का सम्मान कर तू,
इसकी माटी में जन्मा है रखवाला बन रक्षा कर तू,
इसकी खूबसूरत संस्कृति को संभाल कर रख तू,
यह वतन है तेरा इस बात को जान ले तू
देख क्या कह रही भारत माता की पुकार सुन ले तू,
धरती का सबसे सुंदर स्वर्ग भारत को बना सकता है तू।

जय हिंद जय भारत
वंदे मातरम्

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Friday, 17 January 2020

नियमितता और अभ्यास | Hindi


नियमितता और अभ्यास




-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. .
आर्टिकल को और भी रोचक बनाने के लिए आर्टिकल का ऑडियो, मेरी आवाज़ में। 
इसे सुनने के लिए आर्टिकल के नीचे दिए गए  वीडियो पर क्लिक करें। 👇🏻😊

यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल,
एक जुनून सा दिल में जगाना होता है,
पूछा चिड़िया से कैसे बना आशियाना
बोली -
भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार
तिनका-तिनका उठाना होता है।

             जीवन में दृढ़ निश्चय, संघर्ष, कड़ी मेहनत, लगन, निष्ठा और आत्मविश्वास के बना सफलता पाना मुमकिन नहीं है। किंतु इन सबके अलावा दो बातें और भी हैं जो हमें मेहनत करने और अपने आप में आत्मविश्वास जगाए रखने के लिए अत्यंत ज़रूरी हैं। वह हैं पहली, नियमितता यानी कि regularity और दूसरी, बार-बार अभ्यास यानी कि practice. किसी भी सामान्य मनुष्य के जीवन में छः ऐसी बातें होती हैं जिसके लिए नियमितता लाना बहुत मुश्किल होता है और जिसके लिए काफी प्रैक्टिस की ज़रूरत होती है। वे हैं, पहला- सुबह जल्दी उठना, दूसरा- नियमित तरीके से रोज़ एक्सरसाइज करना, तीसरा- निश्चित समय पर खाना खाना, चौथा- अपने अभ्यास में या किसी भी कार्य में रेगुलेरिटी लाना, पांचवा- हर वक्त सकारात्मक रवैया रखना और छठवां- रात को जल्दी सोना। यदि मनुष्य इन सभी छः बातों को अपने जीवन में नियमित तरीके से प्रैक्टिस कर के अपनाना शुरू कर दे तो वह अपने भाग्य को कह सकता है कि तुम आज भले ही मेरा साथ मत दो, पर मैं कड़ी मेहनत और कर्म की नियमितता से तुम्हें ज़रूर बदलूंगा। और यही आत्मविश्वास आपकी सफलता में चार चांद ज़रुर लगाएगा।
            अब सबसे पहले हम बात करते हैं नियमितता यानी regularity इसे हम निरंतरता यानी कंटिन्यूटी भी कहे सकते हैं। किसी भी काम को करने की नियमितता सबसे पहले आपकी दिनचर्या पर निर्भर करती है। यदि आपकी दिनचर्या नियमित नहीं है तो यह आपकी सफलता के मार्ग में एक बड़े स्पीड ब्रेकर की तरह है। यही अनियमित दिनचर्या मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बहुत गहरा असर डालती है। आप ने 'early to bed and early to rise makes a man healthy, wealthy and wise' तो सुना ही होगा। बस यदि इसी बात को व्यक्ति अपने जीवन में नियमित तरीके से उतार ले तो वह इस बड़े स्पीड ब्रेकर को भी चुटकियों में पार कर सकता है और यही नियमितता व्यक्ति को समय का सदुपयोग करना भी सिखा देती है। मेंटली एंड फिजिकली स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम एवं मेडिटेशन भी ज़रूरी है जिससे व्यक्ति को हर वक्त सकारात्मक रवैया रखने में मदद मिलेगी। जीवन में ये नियमितता सिर्फ और सिर्फ प्रैक्टिस, प्रैक्टिस और प्रैक्टिस से ही आ सकती है। लेकिन प्रैक्टिस को प्रैक्टिस करने के लिए कुछ बातें सोचना और बोलना हमेशा के लिए छोड़ दीजिए। जैसे, "लोग क्या कहेंगे"? "मुझसे नहीं होगा""मेरा मूड नहीं है""मेरी किस्मत खराब है" और "मेरे पास टाइम नहीं है"। यदि इन बातों को ना सोचना और ना बोलना आप अपनी प्रैक्टिस में ला पाएंगे तो ही प्रैक्टिस के ज़रिए किसी भी काम को करने में नियमितता आ पाएगी। क्योंकि जीवन में सबसे बड़ी खुशी वही काम करने में है जिसे लोग कहते हैं कि आप नहीं कर सकते। 
           कवि वृंद द्वारा रचित एक दोहा है "करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान।। इस दोहे का अर्थ है कि कुएं से पानी खींचने के लिए बर्तन से बांधी हुई रस्सी कुएं के किनारे रखे हुए पत्थर से बार-बार रगड़ खाने से पत्थर पर भी निशान पड़ जाता है। ठीक इसी प्रकार कोई भी व्यक्ति बार-बार अभ्यास करने से ज्ञानवान बन जाता है। निरंतर अभ्यास करते रहने से कोई भी अकुशल व्यक्ति कुशल बन सकता है यानी कि कोई भी व्यक्ति अपने अंदर किसी भी प्रकार की कुशलता का निर्माण कर सकता है। इसलिए व्यक्ति को कभी भी अभ्यास करना नहीं छोड़ना चाहिए। इस दोहे के लिए अंग्रेजी में एक वाक्य प्रयोग किया जाता है- "प्रेक्टिस मेक्स अ पर्सन परफेक्ट" (Practice Makes a Person Perfect) अर्थात् बार-बार अभ्यास करना व्यक्ति को कुशल बना देता है। अब यदि आप सोचेंगे कि कल से या अभी से मैं अपने हर काम में रेगुलेटरी लाऊंगा या लाऊंगी तो आप कभी भी अचानक से अपने कामों में रेगुलर नहीं हो सकते। इसके लिए आपको सिर्फ और सिर्फ प्रैक्टिस, प्रैक्टिस और प्रैक्टिस की ज़रूरत है। दृढ़ निश्चय कर लेना अच्छी बात है पर उस पर आप कितना कायम रहते हैं यह सिर्फ आपकी प्रैक्टिस के ऊपर निर्भर करता है। प्रैक्टिस करिए की ऊपर बताए हुए छः आदतों को सुधारें। धीरे-धीरे अपने हर काम में प्रैक्टिस के ज़रिए नियमितता लाना शुरू करें। तो किसी भी प्रकार की चुनौती आपको सफलता की ऊंचाईयों को छूने से नहीं रोक पाएगी।
              दोस्तों! याद रखें-
सफलता चल कर नहीं आती
हमें उस तक पहुंचना पड़ता है,
राह में मुश्किलें तो कई आएंगी
पर हमें हौसला रखना पड़ता है।

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