दीपों की अवली : दीपावली
-सौ.
भक्ति
सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया,
साउथ
कैरोलिना,
यू.एस.ए.
दीपावली,
भारत
में हिंदुओं का सबसे बड़ा
त्योहार है। दीपों का खास पर्व
होने के कारण इसे दीपावली या
दिवाली नाम दिया गया। दीपावली
का अर्थ होता है,
दीपों
की अवली यानि पंक्ति। इस प्रकार
दीपों की पंक्तियों से सुसज्जित
इस त्योहार को दीपावली कहा
जाता है। कार्तिक माह की
अमावस्या को मनाया जाने वाला
यह महापर्व,
अंधेरी
रात को असंख्य दीपों की रौशनी
से प्रकाशमय कर देता है। दीप
जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग
कारण या कहानियां हैं। हिंदू
मान्यताओं के अनुसार कार्तिक
अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्र
जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर
तथा असुरी वृत्तियों व रावण
आदि राक्षसों का संहार करके
अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों
ने राम के राज्यारोहण पर
दीपमालाएं जला कर महोत्सव
मनाया था। इस दिन घरों को तथा
बाजारों को रोशनी से सजाया
जाता है। बच्चे हो या बूढ़े
हर उम्र के लोग इस त्यौहार को
बड़ी ही उत्साह के साथ धूमधाम
से मनाते हैं। विभिन्न प्रकार
के व्यंजन व मिष्ठान हर घर में
बनाए जाते हैं तथा इन्हीं
पकवानों के साथ व दीप जला कर
देवी लक्ष्मी का स्वागत किया
जाता है।
दिवाली
पांच दिवसीय उत्सव है तथा
प्रत्येक दिवस का पौराणिक
मान्यताओं के अनुसार अपना
महत्व है। पहले दिन धनतेरस
के रूप में जाना जाता है। इस
दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की
जाती है। दूसरा दिन नरकचतुर्दशी
या छोटी दिवाली के रूप में
जाना जाता है। जिसे भगवान
कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता
है क्योंकि उन्होंने इस दिन
राक्षस राज नारकसुर का वध किया
था। तीसरे दिन मुख्य दिवाली
दिवस के रूप में जाना जाता है
जिसे शाम को रिश्तेदारों,
दोस्तों,
पड़ोसियों
के साथ मिलकर देवी लक्ष्मी व
गणेश जी की पूजा करके मनाया
जाता है। चारों ओर फूलों की
रंगोली बनाई जाती है और दीये
जलाए जाते हैं,
एक
दूसरे को मिठाई और पकवान दिए
जाते हैं और धूमधाम से प्रकाश
का पर्व मनाया जाता है। । चौथे
दिन भगवान कृष्ण व माता समान
गाय की पूजा की जाती है जिसे
गोवर्धन पूजा या गोवर्धन पाडवा
के रूप में जाना जाता है।
पांचवें दिन यम द्वितिया या
भाई दूज के रूप में जाना जाता
है। इस दिन बहन भाई की लंबी
उम्र के लिए प्रार्थना करती
है तथा यह त्योहार भाई-बहन
के प्रेम का प्रतीक है।
दिवाली भारत का एक सर्वधर्म एवं
सांस्कृतिक पर्व है। इस त्यौहार
को सभी धर्म व जाति के लोग मिल
जुलकर भाई चारे के साथ मनाते
हैं। दीपावली के दौरान लोग
अपने घर और कार्य स्थल की
साफ-सफाई
करते हैं। दीपावली जहाँ रौनक
और ज्ञान का प्रतीक है वही
स्वच्छता का प्रतीक भी है
जिसके कारण सबके मन में नई
ऊर्जा और नया उत्साह जन्म लेता
है। दिवाली के इस विशेष त्योहार
पर कुछ ऐसे कार्य हैं जिससे
हम ना सिर्फ अपने लिए मंगलकारी
बल्कि दूसरों के लिए भी इस दिन
को खास बना सकते हैं और दिवाली
के वास्तविक अर्थ को सच्चे
रुप से सार्थक कर सकते हैं।
जब भी दिवाली की खरीददारी करने
जाएं तो इस बात को ध्यान रखे
कि कुछ वस्तुएं हम गरीब और
मेहनती लोगों से खरीदें क्योंकि
हमारे तरह इन्हें भी वर्ष भर
इस त्योहार का इंतजार होता
है। यह ना सिर्फ हमारे देश के
छोटे व्यापारियों और कुम्हारों
को आर्थिक रुप से सुदृढ़ बनाकर
देश की अर्थव्यवस्था को आगे
बढ़ाने का कार्य करता है बल्कि
दिवाली के पारंपरिक रुप को
भी बनाये रखता है। एक और
महत्वपूर्ण बात यदि हम चाहे
तो अपनी आकांक्षाओं में कुछ
कटौती करके या अपने पास से कुछ
अधिक खर्च निकालकर कुछ गरीबों
और जरूरतमंद लोगों को मिठाइयां
और उपहार जैसी चीजें बांटकर
उनके चेहरों पर खुशियां ला
सकते हैं और उनके साथ-साथ
अपने लिए भी इस त्योहार को और
भी ज्यादा विशेष बनाते हुए,
दिवाली
के त्योहार का वास्तविक सुख
प्राप्त कर सकते हैं।
सब
जानते हैं कि दिवाली पर पटाखों
और भारी आतिशबाजी के कारण काफी
ज्यादा मात्रा में प्रदूषण
उत्पन्न होता है। कई बार लोग
दिवाली के कई हफ्ते पहले से
ही पटाखे फोड़ना शुरु कर देते
हैं,
जिससे
पर्यावरण में प्रदूषण की
मात्रा बढ़ने लगती है और दिवाली
के दिन यह चरम पर पहुंच जाती
है। इसका सबसे ज्यादा असर
महानगरों में देखने को मिलता
है,
जहां
दिवाली के त्योहार के बाद
प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़
जाता है। प्रदूषण के साथ-साथ
तेज पटाखों की आवाज से छोटे
बच्चों,
वृद्ध
व मरीजों पर भी बुरा असर होता
है। पटाखों का कम से कम उपयोग
करके हरित दिवाली मनाने का
प्रयास करें। यह दिवाली पर
हमारे द्वारा प्रकृति को दी
जा सकने वाली सबसे बड़ी भेंट
होगी। यदि दिवाली पर हम इन
बातों को अपना ले तो इस त्योहार
को और भी ज्यादा मनमोहक और
समृद्ध बना सकते हैं। दिवाली
के
त्योहार
पर हमारे यह छोटे-छोटे
कार्य बड़े परिवर्तन ला सकते
हैं।
आप
सभी को दिवाली की हार्दिक
शुभकामनाएं।
अपने
सजेशन व कमेंट देने के लिए कमेंट बॉक्स
में सजेशन लिखकर पब्लिश आवश्य
करें।
