Friday, 23 August 2019

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत | Hindi


मन के हारे हार है, मन के जीते जीत




-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर
-कोलंबिया, साउथ कैरोलिना, यू. एस. .


क्यों डरें कि ज़िंदगी में क्या होगा,
हर वक्त क्यों सोचें कि बुरा होगा,
बढ़ते रहे मंज़िल की ओर हम,
कुछ ना भी मिला तो क्या?
तजुर्बा तो नया होगा..

            मनुष्य अपने जीवन में अपनी मंज़िल की ओर तभी बढ़ सकता है जब उसे खुद पर यकीन हो। आत्मविश्वास शब्द का अर्थ है स्वयं पर विश्वास करना। 'आत्मविश्वास' एक ऐसी चाबी है जो मनुष्य को ऊंची-से-ऊंची मंज़िल तक पहुंचा सकती है परंतु यदि यह चाबी कहीं गुम हो जाए तो इससे ढूंढ पाना इतना आसान नहीं होता। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास होता है वह आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। आत्मविश्वास ही व्यक्ति को कोई भी कार्य करने के लिए सक्षम बनाता है। मनुष्य में आत्मविश्वास की उत्पत्ति दृढ़ संकल्प से होती है। व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए। जिस तरह डाल पर बैठे हुए परिंदे को पता है कि डाली कमज़ोर है फिर भी वह उसी डाल पर बैठा है, जानते हैं क्यों? क्योंकि पंछी को डाल से ज्यादा अपने पंखों पर भरोसा है। यह उसका आत्मविश्वास है कि उसके पंख उसे कभी गिरने नहीं देंगे। इसी तरह व्यक्ति को खुद पर यकीन होना चाहिए तो उसे अंधेरे में भी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता मिलते चले जाएगा।
राह संघर्ष की जो चलता है,
वही संसार को बदलता है,
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है।

         आत्मविश्वास प्रत्येक व्यक्ति में होता है। किसी में कम या किसी में अधिक। जिस व्यक्ति का आत्मविश्वास अधिक होता है वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जाता है। परंतु जिस में इसका अभाव होता है वह सफलता की सीढ़ियों तक भी पहुंच नहीं पाता। इसके कारण तो कई हो सकते हैं परंतु प्रमुख कारण है डर और शंका। जैसे, यदि मैंने यह कार्य गलत कर दिया तो? मैं यह कार्य नहीं कर सकती या नहीं कर सकता। मुझसे यह सब नहीं होगा। अगर मैं नाकाम हो गया तो लोग क्या कहेंगे। बस, यही डर और शंका व्यक्ति के अंदर के आत्मविश्वास को धीरे-धीरे खत्म कर देते हैं। इन प्रमुख कारणों में निराशा भी एक कारण है। निराशा मनुष्य के मन में तभी जन्म लेती है जब वह कोई कार्य करता है और उसे उसका उचित परिणाम नहीं मिलता‌ या किसी का प्रोत्साहन नहीं मिलता। उसके अंदर के हुनर से उसकी कोई पहचान नहीं करवाता। जब इस प्रकार की निराशा मनुष्य के मन में घर करती है तो आत्मविश्वास धीरे-धीरे उसके मन से खत्म होने लगता है। इन सब में एक प्रमुख कारण आलोचना भी है। आलोचना का एक शब्द ही काफी होता है मनुष्य के आत्मविश्वास को पूरी तरह से खत्म करने के लिए। खासकर तब जब आलोचना उसके कार्य से संबंधित ना होते हुए उसके रंग-रूप, हाव-भाव, चाल-ढाल अर्थात् ही उसके व्यक्तित्व से संबंधित हो।
           दोस्तों, यदि हम किसी व्यक्ति के मन में आत्मविश्वास नहीं जगा सकते तो किसी भी कारण से या किसी भी तरह की बातों से दूसरों के आत्मविश्वास को कभी ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए। क्योंकि कहते हैं ना 'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।' किसी कारण वश यदि व्यक्ति का आत्मविश्वास कम हो जाता है और मन ही मन में स्वयं को कमज़ोर समझने लगता है तो वह अपने जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता। जीवन में आगे बढ़ने के लिए परिश्रम और आत्मविश्वास यही दो बातें महत्वपूर्ण होती हैं। इसलिए व्यक्ति को आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अपने मन को जीतना आवश्यक है। यदि मन में वह दृढ़ निश्चय कर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता रहेगा तो सफलता उसके कदम अवश्य चूमेगी। और यदि आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए मनुष्य को अपने व्यक्तित्व में निखार की अथवा किसी अन्य क्षेत्र में सुधार करने की आवश्यकता है तो उसे इन सभी बातों से भी पीछे नहीं हटना चाहिए। क्योंकि यदि व्यक्ति में आत्मविश्वास है तो उसने अपने लक्ष्य को पाने की शुरुआत कर दी है। यूं ही आत्मविश्वास के साथ हमेशा आगे बढ़ते रहें और यूं ही अपनी मंज़िल की ओर चलते रहें। किसी ने खूब कहा है दोस्तों-

सफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई है देखो और सुधार करो,
कुछ किए बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

8 comments:

  1. बोहत अच्छा लिखा है भक्ति, आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है
    👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏

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  2. बहुत खूबसूरत लेख।

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  3. लेख बहुत अच्छा । आत्म विश्वास मजबूत होना चाहिए ।सभी कार्य सरलता से होने लगते है । ऐसे ही आत्म विश्वास के साथ नये नये विषय पर लिखते रहो ।👍👍👌

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  4. लेख बहुत अच्छा । आत्म विश्वास मजबूत होना चाहिए ।सभी कार्य सरलता से होने लगते है । ऐसे ही आत्म विश्वास के साथ नये नये विषय पर लिखते रहो ।������

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