Tuesday, 30 April 2019

बिगड़ता ट्राफिक, बढ़ती समस्या | Hindi



बिगड़ता ट्राफिक, बढ़ती समस्या !

-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर



          वैसे तो आजकल रोज़मर्रा कि जिंदगी में इंसान के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं हैं। जिससे वह हर रोज़ गुजरता है। कहीं किसी को बिजली बार-बार जाने की समस्या है, तो किसी को रोज़ पानी नहीं मिलने की समस्या। किसी का ऑफिस में बॉस से झगड़ा, तो कभी बच्चों की स्कूल से बार-बार कंप्लेंट आने की समस्या। जितनी भी गिन लो इंसान के जीवन की समस्या कभी कम ही नहीं होती। लेकिन एक ऐसी ही बड़ी समस्या जिसका लगभग हर आदमी हर रोज़ सामना करता है, वह है बिगड़ते ट्रैफिक की समस्या। घर से बाहर निकलने के बाद दफ़्तर या कहीं भी पहुंचने के लिए सबसे पहले ट्राफिक के जाल से होकर हर किसी को गुज़रना पड़ता है। समस्या ट्रैफिक से होकर गुजरने की नहीं है समस्या बिगड़े हुए ट्रैफिक का सामना करते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की है। वैसे सवाल तो यह उठता है ट्राफिक व्यवस्था बिगड़ती किस कारण से है? कहीं हम ही तो ज़िम्मेदार नहीं हैं इसके?

         आइए बिगड़ते ट्रैफिक के कारणों के बारे में कुछ चर्चा करें। कुछ कारणों में से एक प्रमुख कारण लोगों में ट्रैफिक सेंस का अभाव हो सकता है। कुछ लोगों को ट्राफिक के नियम-कानून के बारे में ज्ञात ही नहीं होता है। इन्हीं सभी नियमों की जानकारी के अभाव में ट्राफिक बिगड़ता है। मसलन, यदि ट्रैफिक सिग्नल की रेड लाइट पर रुके हैं तो अपनी गाड़ी ज़ेबरा क्रॉसिंग के पहले बनी हुई स्टॉप लाइन पर ही रोकनी है। ताकि रेड लाइट में पैदल चलने वाले लोगों को रोड क्रॉस करने में असुविधा ना हो। टू व्हीलर चलाते समय हेलमेट पहनना सुरक्षा के लिए अत्यंत ही जरूरी है। कार चलाते समय या कोई भी चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट पहना अनिवार्य है। पर कुछ लोगों को लगता है कि यह सिर्फ चालान से बचने के लिए होता है। कोई भी गाड़ी हो उसे कभी भी ओवरलोड नहीं करना चाहिए। कुछ ट्राफिक चिन्हों के बारे में लोगों को पता ही नहीं होता है। जैसे कहां पर पार्किंग करनी है, कहां पर नो पार्किंग है, कहां पर मुड़ना है, कहां पर रुकना है, किस जगह पर कितनी स्पीड में गाड़ी चलानी है, आदि। गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन पर बात नहीं करना चाहिए। कानों में हेडफोन लगाकर गाने नहीं सुनना चाहिए जिनका पालन ना करने से गाड़ी चलाते समय व्यक्ति का ध्यान मोबाइल पर और इधर-उधर भटक जाता है और दूसरी गाड़ीयों का हॉर्न तक सुनाई नहीं देता है। वह सड़क पर ध्यान नहीं दे पाता है कई बार इस प्रकार की अचेतना के कारण दुर्घटना का शिकार भी हो जाता है। इन्हीं सब बातों की जानकारी के अभाव के कारण सड़क हादसों में कई लोग अपनी जान भी गंवा देते हैं। एक सर्वे के मुताबिक 35% लोगों की मौत सड़क हादसे में हो जाती हैं।

          कुछ व्यक्ति ट्रैफिक नियमों के जानकार होते हुए भी इनका पालन नहीं करते। ट्राफिक के कानून और नियमों को तुच्छ समझ कर उसे तोड़ने में अपनी शान समझते हैं। और जब ट्राफिक हवलदार द्वारा कानून तोड़ने पर चालान काटा जाता है तो शायद उसे घूस देने की कोशिश करते हैं ताकि कानून तोड़ने पर भारी चालान से बच सके। और फिर इनमें से काफी लोग भारत देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की बात करते हैं। कुछ लोगों को हमेशा इतनी जल्दी रहती है की गाड़ी चलाते समय उन्हें सिर्फ खुद के ही समय की कीमत होती है। सही समय पर दफ्तर पहुंचने की जल्दी में ट्राफिक के कानून को तोड़ते हुए वे लोग हाई स्पीड में गाड़ी चलाते हैं। ज़रा सोचिए, जल्दी तो सभी को है, पर टाइम पर कोई नहीं पहुंचता है। कभी ऐसे लोगों द्वारा अनजाने में गलती भी हो जाए तो भी वे खुद को ही सही साबित करते हैं।

          बहुत ही खराब ट्राफिक है! बड़ी ही बिगड़ी हुई व्यवस्था है! पता नहीं कब सुधरेगा? हर रोज़ नई-नई गाड़ियां मार्केट में आ रही हैं, कितनी सारी गाड़ियां लोग खरीदते हैं कहां से ट्राफिक सुधरेगा? यह सारी बातें करना तो बहुत आसान है पर सच तो यह है कि इस बिगड़ी ट्राफिक व्यवस्था को सुधारने की पहल भी हमें ही करना होगी। हां, यह बात सत्य है की हर रोज़ नई गाड़ियां मार्केट में आ रही है। गाड़ियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। परंतु यह बिगड़ते ट्रैफिक का प्रमुख कारण नहीं है। यदि हर व्यक्ति अपने विवेक से ट्राफिक व्यवस्था सुधारने का प्रयत्न करें और सारे नियम कानून को ध्यान में रखते हुए गाड़ी चलाएं तो ट्राफिक कभी बिगड़ेगा ही नहीं। जल्दी पहुंचने की होड़ में इधर-उधर से, जहां से जगह मिले लोग वहां से गाड़ी निकालने की कोशिश करने लगते हैं और इसी कारण गाड़ियां फंस जाती हैं। और घंटों का जाम लग जाता है। इसका सारा दोष ट्रैफिक व्यवस्था‌ पर मढ़ दिया जाता है। यदि कोई इस व्यवस्था को सुधारने का प्रयत्न भी करता है तो उसे यह नसीहत दे दी जाती है कि कुछ नहीं हो सकता भाई, यह सब तुम छोड़ दो। पर दोस्तों, यह गलत है। यह ऐसी समस्या है कि देश में इसे जन सामान्य लोग ही अपने प्रयासों से बड़ा बदलाव ला सकते हैं। यदि इसे अभी नज़रअंदाज़ किया गया तो यह साधारण सी समस्या कल एक बड़ी समस्या के रूप में उभर सकती है। अतः, आइए हम सब प्रण करें कि हम ट्रैफिक नियमों का पालन करेंगे और इस देश के ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते बिगड़ती ट्रैफिक समस्या को सुधारने का पूरा प्रयत्न करेंगे।

  • ट्रैफिक नियम हम सब की सुरक्षा के लिए हैं, इनका पालन अवश्य करें।
  • दफ्तर या कहीं बाहर जाने के लिए घर से थोड़ा जल्दी निकलें और धैर्य एवं सावधानी से वाहन चलाएं।
  • याद रखिए कि एक दूसरे से आगे बढ़ने और खुद पहले निकलने की होड़ में वाहन चलाने से ही ट्रैफिक जाम होता है।
  • हेलमेट और सीट बेल्ट हमारी सुरक्षा के लिए है, वाहन चलाते समय इनका उपयोग अवश्य करें।
  • अन्य वाहन चालकों का और पैदल चलने वालों का सम्मान करें।
  • वाहन संबंधी आवश्यक दस्तावेज़ हमेशा अपने पास रखें।

दोस्तों, हमारी यह छोटी सी पहल पूरे देश में क्रांति ला सकती है। हम स्वयं भी प्रयत्न करें और दूसरों को प्रोत्साहित भी।

सुरक्षा की सोचो तुम हर बार,
दाएं-बाएं देखो तुम बार-बार,
रुक जाओ यदि सुनाई पड़े कोई हॉर्न।
सदा रखो सड़क पर अपना ध्यान,
याद रखो तुम्हारा है एक परिवार ...
जिसकी बसी है तुम में जान।




Friday, 26 April 2019

जल: जीवों की जीवन रेखा | Hindi


जल: जीवों की जीवन रेखा


-सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर




किसी ने खूब कहा है-

जल है तो कल है,

वरना मुश्किल हर एक पल है, 

जल ही जीवन का है आधार,

इसके बिना सूना है संसार,

जल को ना हम करें व्यर्थ,

क्योंकि इसमें छिपा है जीवन का अर्थ,

जल का कुछ है ही नहीं विकल्प,

इसे बचाने का हम लें संकल्प।


         दोस्तों! कल्पना कीजिए, सूट-बूट पहने आप एक लंबी कतार में लगे हैं और हाथों में 20-20 लीटर के पानी के कंटेनर है और जेब में ₹200 प्रति लीटर के हिसाब से मेहनत की कमाई के बचे हुए पैसे। सिर्फ इतना ही पानी आपके परिवार को पूरे हफ्ते उपयोग में लाना है। सारे काम, जैसे - खाना बनाना, बर्तन-कपड़े धोना आदि। यहां तक कि पीने के लिए भी इतना ही पानी उपलब्ध हो पाएगा। पानी बेचने वाले लोगों के तेवर किसी सुनार से कम नहीं है और लोगों की लाइन में धक्का-मुक्की की, आगे जाने की और जल्दी पानी मिलने की होड़ लगी है। पानी खत्म तो अब सीधा अगले हफ्ते ही मिल पाएगा। क्या आप भविष्य में किसी ऐसे दिन की कल्पना कर सकते हैं? दोस्तों! शायद किसी दिन पानी की कीमत धीरे-धीरे सोना-चांदी की कीमत से भी आगे निकल जाएं। भविष्य में बढ़ती गर्मी और घटते जल स्तर को देखते हुए आज के वैज्ञानिक शायद कोई ऐसे इंजेक्शन या दवाई की खोज कर लें जो इंसान के शरीर में पानी की कमी को पूरा कर सके। परंतु आगे आने वाली पीढ़ी यदि पानी म्यूजियम में रखा देखे और उन्हें यह बताया जाए कि इसे कभी इंसान अपनी जीविका चलाने के लिए उपयोग में लाया करता था और यह धरती पर सुंदर नदियों और झरनों के रूप में मुफ्त में उपलब्ध हुआ करता था। आपको शायद हंसी आ रही होगी है ना? आप यह सोच रहे होंगे यह क्या बेवकूफी भरी बातें हैं! जी हां दोस्तों, यदि सही समय पर सही तरीके से पानी का संरक्षण आज नहीं किया गया तो भविष्य में यह कल्पना सत्य होती नज़र आ सकती है। जल बिना सारी सृष्टि खत्म हो जाएगी।
            पानी का महत्व मनुष्य बहुत अच्छी तरह से जानता हैं। बचपन से व्यक्ति को यह सीखाया जाता है कि पानी सभी जीवों के लिए कितना आवश्यक है। जिसके बिना कोई भी जीव जीवित ही नहीं रह सकता। पानी का महत्व, उसका सदुपयोग करना भी व्यक्ति को बचपन से ही सिखाया जाता है। और बालपन में विद्यालय में कई बार पानी के महत्व व उसकी उपयोगिता पर हर व्यक्ति ने निबंध भी लिखे होंगे। किंतु क्या सिर्फ लिखने और पढ़ने से पानी की बचत और उसका संरक्षण हो पाएगा? इसका महत्व की विस्तृत रूप से चर्चा करने की शायद आवश्यकता नहीं है। सभी इस बात से अवगत हैं कि, 'बिन पानी प्रत्येक जीव का सूना है जीवन, जल अनमोल है जल है तो कल है, क्योंकि जल ही है जीवन।'

            मनुष्य पानी का महत्व समझते हुए भी यदि उसका अपव्यय करे तो वह पानी के संरक्षण और उसकी उपयोगिता के बारे में कभी समझ ही नहीं पाएगा। कई लोगों का यहां प्रश्न होता है कि हम कहां पानी का अपव्यय करते हैं? अरे भाई, तो क्या आप हम पानी पीना ही छोड़ दें? नहीं दोस्तों, व्यक्ति जाने-अनजाने में कई प्रकार से पानी का अपव्यय करते हैं। कुल्ला करते समय पानी की आवश्यकता नहीं है फिर भी हम नल खुला रख पानी को बहने देते हैं। गाड़ियां साफ करने के लिए पाइप से गाड़ियों पर पानी डालते हैं। जबकि बाल्टी में पानी लेकर भी गाड़ियों को साफ किया जा सकता है। घर के आंगन की साफ करने के लिए भी पाइप से अनावश्यक रूप से पानी को बहाते रहते हैं। साफ़-सफ़ाई आवश्यक है परंतु इसके लिए भी बाल्टी भर पानी का उपयोग किया जा सकता है। आजकल वॉटर हार्वेस्टिंग यह तकनीक काफी उपयोग में लाई जा रही हैै। पानी का अपव्यय रोकने के लिए उसका संरक्षण करने के लिए लोग घरों में वाटर हार्वेस्टिंग की तकनीक अपना रहे हैं यानी बरसात का पानी एकत्रित कर उसे अन्य कामों में उपयोग में लाना। कपड़े धोने के पश्चात बचे हुए पानी को पौधों में डालकर उपयोग में लाना, आदि प्रकार से व्यक्ति पानी का अपव्यय होने से रोक सकते हैं व उसे संरक्षित कर के आने वाली पीढ़ियों के लिए बचा कर रख सकते हैं। जिससे भविष्य में पानी की कमी ना हो और दिन-पर-दिन घटते जल स्तर को नियंत्रित किया जा सके। 

          जल सभी जीवों की जीवन रेखा होती है। मनुष्य, पशु-पक्षी, जलचर, पेड़-पौधे जल बिना किसी का भी अस्तित्व संभव नहीं है। मनुष्य को इसका महत्व भली-भांति समझना चाहिए क्योंकि इन सभी जीवो में सबसे बुद्धिमान मनुष्य जाति ही है। इसलिए जल का संरक्षण करें जल को प्रदूषित होने से बचाएं व जल को स्वच्छ व शुद्ध रखें ताकि पशु-पक्षी,जलचर और पेड़-पौधों को प्रदूषित जल से कोई नुकसान न पहुंचे। यह कर्तव्य सिर्फ और सिर्फ मनुष्यों का है क्योंकि कहीं ना कहीं प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य इन सभी पर भी अपनी जीविका निर्वाह करने के लिए आश्रित है।

दोस्तों, 
पानी क्या है?
जिसे हमारे दादाजी ने नदियों में देखा,
पिताजी ने कुएं में देखा,
हमने नलों में देखा,
अब हमारे बच्चे बोतलों में देख रहे हैं,
पर उनके बच्चे इसे कहां देखेंगे?
इसलिए आप सभी से अनुरोध है 
कि नई पीढ़ी के लिए पानी बचाइए।



Thursday, 18 April 2019

घरौंदा: सीख एक चिड़िया की | Hindi


घरौंदा: सीख एक चिड़िया की

- सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर



          प्रकृति की एक खूबसूरत रचना है - चिड़िया। यह नन्हीं-सी चिड़िया जब अंडे से बाहर निकलती है, तो यह सोच बड़ी ही उत्सुक होती है, कि बाहर की यह दुनिया कितनी सुंदर, कितनी निराली होगी? जब वह बहुत छोटी-सी होती है तब उसके माता-पिता उसे दाना-पानी लाकर देते हैं। वह छोटी-सी चिड़िया अपने घोंसले को ही अपनी दुनिया समझने लगती है। पर वह अब धीरे-धीरे बड़ी होने लगती है। और एक दिन उसके माता-पिता उसे कहते हैं कि, "बेटा अब तुम्हारी शिक्षा का वक्त गया है, अब वक्त गया है कि तुम भी अपने पंख फैलाकर इस नील गगन में ऊंची उड़ान भरो।" यह सुन वह चिड़िया बड़ी ही खुश होती है और सोचने लगती है ऊंचे नील गगन में उड़ते हुए वह सुंदर प्राकृतिक दृश्य, ऊंचे-ऊंचे झरने देख पाएगी। पर जैसे ही उड़ान भरने के लिए वह अपने घोंसले से बाहर निकलती है और पेड़ से नीचे झुक कर देखती है तो घबरा जाती है और अपनी मां से कहती हैै, "मां, मैं यदि इस पेड़ से छलांग लगाऊं और अपने पंख फैलाकर उड़ ना पाऊं तो मैं तो जमीन पर गिर जाऊंगी, मुझे चोट लग जाएगी और फिर मैं कभी भी इस नील गगन में उड़ नहीं पाऊंगी।" उस नन्हीं- सी चिड़िया का डर देख कर उसकी मां उसे समझाती है, कि "तुम जमीन पर कभी गिर ही नहीं सकती क्योंकि तुम्हारे पास पंख है। तुम जब इस पेड़ से उड़ने के लिए छलांग मारोगी तो पक्षी जात के कारण तुम अपने पंख फैलाकर उड़ना सीख जाओगी। और यदि तुम्हें फिर भी डर लगे तो यह कभी मत भूलना तुम्हें संभालने के लिए तुम्हारे भाई-बहन, तुम्हारे मित्र हैं ही, हमेशा तुम्हारे साथ चलने वाले तुम्हारे पिता भी है, और मैं तो हूं ही ना। मेरी ममता तुम्हें कभी कुछ भी नहीं होने देगी।" यह सुन उस नन्हीं-सी जान को थोड़ा धीरज मिला। वह चिड़िया अपनी आंखें बंद कर अपने घोंसले से बाहर आई और पेड़ की डाली से कूद पड़ी और देखते-ही-देखते वह अपने पंख फैलाकर इस नील गगन में उड़ने लगी। यह नन्हीं-सी चिड़िया कब बड़ी हो गई पता ही नहीं चला। और एक दिन रोज़ की तरह इस नील गगन में उड़ने के लिए निकल पड़ी। इतनी दूर उड़ गई कि वह किसी को भी नजर नहीं आई। जाने वह कहां चली गई? जिस चिड़िया को उसके मां-बाप ने जन्म दिया, ऊंचे गगन में उड़ना सिखाया, स्वावलंबी बनाया, उस पर अच्छे संस्कार दिए, उसके मित्रों ने उसे पग-पग पर साथ दिया, भाई-बहन ने हमेशा उसे प्रोत्साहित किया, जाने वह उन सबको छोड़ इस नील गगन में कहां गुम हो गयी?
        मनुष्य अपने जीवन के कितने ही उच्च पद पर ही क्यों ना हो, कितना ही बड़ा क्यों हो गया हो, कितना ही यशस्वी क्यों ना हो गया हो, और जग में कहीं भी हो उसे अपने मां-बाप, अपने मित्रों, भाई-बहन को कभी नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने उसका हर वक्त हर समय साथ दिया हो। मनुष्य का यह यशस्वी होने का अहंकार उसे कभी पीछे मुड़कर देखने नहीं देगा। पर यदि भविष्य में कभी उसने ठोकर खाई और इस ठोकर की वजह से वह कभी गिरा भी तो उसे संभालने वाला भी कोई नहीं होगा। इसीलिए मनुष्य चिड़िया तो नहीं बन सकता पर चिड़िया का एक उत्तम गुण जरूर अपना सकते है। जिस प्रकार सुबह भोर होते ही चिड़िया अपने घोंसले से अपना दाना-पानी एकत्रित करने के लिए धरती पर दिनभर भटकती है, पर सूर्यअस्त के समय वह अपने घोंसले में पुनः लौट ही आती है। 
           
उपरोक्त उल्लेख की गई चिड़िया की चिंता आप मत कीजिए, वह आकाश में कितना ही ऊंचा क्यों ना उड़ी हो वह शाम को अपने घर लौट ही आई होगी। इस कहानी की शिक्षा यह है कि मनुष्य को अपनी किसी भी बात का कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। हमेशा अपने लोगों से, अपनी मिट्टी से जुड़े रहना चाहिए। मनुष्य कितनी ही ऊंचाइयों को क्यों ना छू ले उसे लौट कर तो अपनों के पास ही आना ही पड़ता है। मनुष्य को यह कभी नहीं पाता होता है कि उसे अपने जीवन में कब कौन से रिश्ते की आवश्यकता पड़ेगी। इंसान को इंसान की ही ज़रूरत होती है। यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि  सभी को साथ लेकर और सभी के साथ ही सदैव चलना चाहिए। मनुष्य यदि अपने जीवन में चिड़िया का यह उत्तम गुण सीख ले तो वह अपनों से अलग होे जाने की गलती शायद कभी ना करे।

सत्य वचन-
गलतियां जीवन का एक पन्ना है,
परंतु रिश्ते पूरी किताब,
समय आने पर गलतियों का पन्ना फाड़ देना,
पर एक पन्ने के लिए पूरी किताब कभी मत खोना।