-सौ.
भक्ति सौरभ
खानवलकर
वैसे
तो आजकल रोज़मर्रा कि जिंदगी
में इंसान के जीवन में कई प्रकार
की समस्याएं हैं। जिससे वह
हर रोज़ गुजरता है। कहीं किसी
को बिजली बार-बार
जाने की समस्या है,
तो किसी को
रोज़ पानी नहीं मिलने की समस्या।
किसी का ऑफिस में बॉस से झगड़ा,
तो कभी बच्चों
की स्कूल से बार-बार
कंप्लेंट आने की समस्या। जितनी
भी गिन लो इंसान के जीवन की
समस्या कभी कम ही नहीं होती।
लेकिन एक ऐसी ही बड़ी समस्या
जिसका लगभग हर आदमी हर रोज़
सामना करता है, वह
है बिगड़ते ट्रैफिक की समस्या।
घर से बाहर निकलने के बाद दफ़्तर
या कहीं भी पहुंचने के लिए
सबसे पहले ट्राफिक के जाल से
होकर हर किसी को गुज़रना पड़ता
है। समस्या ट्रैफिक से होकर
गुजरने की नहीं है समस्या
बिगड़े हुए ट्रैफिक का सामना
करते हुए एक स्थान से दूसरे
स्थान पर जाने की है। वैसे
सवाल तो यह उठता है ट्राफिक
व्यवस्था बिगड़ती किस कारण
से है? कहीं
हम ही तो ज़िम्मेदार नहीं हैं
इसके?
आइए
बिगड़ते ट्रैफिक के कारणों
के बारे में कुछ चर्चा करें।
कुछ कारणों में से एक प्रमुख
कारण लोगों में ट्रैफिक सेंस
का अभाव हो सकता है। कुछ लोगों
को ट्राफिक के नियम-कानून
के बारे में ज्ञात ही नहीं
होता है। इन्हीं सभी नियमों
की जानकारी के अभाव में ट्राफिक
बिगड़ता है। मसलन,
यदि ट्रैफिक
सिग्नल की रेड लाइट पर रुके
हैं तो अपनी गाड़ी ज़ेबरा
क्रॉसिंग के पहले बनी हुई
स्टॉप लाइन पर ही रोकनी है।
ताकि रेड लाइट में पैदल चलने
वाले लोगों को रोड क्रॉस करने
में असुविधा ना हो। टू व्हीलर
चलाते समय हेलमेट पहनना सुरक्षा
के लिए अत्यंत ही जरूरी है।
कार चलाते समय या कोई भी चार
पहिया वाहन चलाते समय सीट
बेल्ट पहना अनिवार्य है। पर
कुछ लोगों को लगता है कि यह
सिर्फ चालान से बचने के लिए
होता है। कोई भी गाड़ी हो उसे
कभी भी ओवरलोड नहीं करना चाहिए।
कुछ ट्राफिक चिन्हों के बारे
में लोगों को पता ही नहीं होता
है। जैसे कहां पर पार्किंग
करनी है, कहां
पर नो पार्किंग है,
कहां पर मुड़ना
है, कहां
पर रुकना है, किस
जगह पर कितनी स्पीड में गाड़ी
चलानी है, आदि।
गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन
पर बात नहीं करना चाहिए। कानों
में हेडफोन लगाकर गाने नहीं
सुनना चाहिए जिनका पालन ना
करने से गाड़ी चलाते समय व्यक्ति
का ध्यान मोबाइल पर और इधर-उधर
भटक जाता है और दूसरी गाड़ीयों
का हॉर्न तक सुनाई नहीं देता
है। वह सड़क पर ध्यान नहीं दे
पाता है कई बार इस प्रकार की
अचेतना के कारण दुर्घटना का
शिकार भी हो जाता है। इन्हीं
सब बातों की जानकारी के अभाव
के कारण सड़क हादसों में कई
लोग अपनी जान भी गंवा देते
हैं। एक सर्वे के मुताबिक 35%
लोगों की मौत
सड़क हादसे में हो जाती हैं।
कुछ
व्यक्ति ट्रैफिक नियमों के
जानकार होते हुए भी इनका पालन
नहीं करते। ट्राफिक के कानून
और नियमों को तुच्छ समझ कर उसे
तोड़ने में अपनी शान समझते
हैं। और जब ट्राफिक हवलदार
द्वारा कानून तोड़ने पर चालान
काटा जाता है तो शायद उसे घूस
देने की कोशिश करते हैं ताकि
कानून तोड़ने पर भारी चालान
से बच सके। और फिर इनमें से
काफी लोग भारत देश को भ्रष्टाचार
मुक्त बनाने की बात करते हैं।
कुछ लोगों को हमेशा इतनी जल्दी
रहती है की गाड़ी चलाते समय
उन्हें सिर्फ खुद के ही समय
की कीमत होती है। सही समय पर
दफ्तर पहुंचने की जल्दी में
ट्राफिक के कानून को तोड़ते
हुए वे लोग हाई स्पीड में गाड़ी
चलाते हैं। ज़रा सोचिए,
जल्दी तो सभी
को है, पर
टाइम पर कोई नहीं पहुंचता है।
कभी ऐसे लोगों द्वारा अनजाने
में गलती भी हो जाए तो भी वे
खुद को ही सही साबित करते हैं।
बहुत
ही खराब ट्राफिक है!
बड़ी ही बिगड़ी
हुई व्यवस्था है!
पता नहीं कब
सुधरेगा? हर
रोज़ नई-नई
गाड़ियां मार्केट में आ रही
हैं, कितनी
सारी गाड़ियां लोग खरीदते
हैं कहां से ट्राफिक सुधरेगा?
यह सारी बातें
करना तो बहुत आसान है पर सच तो
यह है कि इस बिगड़ी ट्राफिक
व्यवस्था को सुधारने की पहल
भी हमें ही करना होगी। हां,
यह बात सत्य
है की हर रोज़ नई गाड़ियां
मार्केट में आ रही है। गाड़ियों
की संख्या में वृद्धि हो रही
है। परंतु यह बिगड़ते ट्रैफिक
का प्रमुख कारण नहीं है। यदि
हर व्यक्ति अपने विवेक से
ट्राफिक व्यवस्था सुधारने
का प्रयत्न करें और सारे नियम
कानून को ध्यान में रखते हुए
गाड़ी चलाएं तो ट्राफिक कभी
बिगड़ेगा ही नहीं। जल्दी
पहुंचने की होड़ में इधर-उधर
से, जहां
से जगह मिले लोग वहां से गाड़ी
निकालने की कोशिश करने लगते
हैं और इसी कारण गाड़ियां फंस
जाती हैं। और घंटों का जाम लग
जाता है। इसका सारा दोष ट्रैफिक
व्यवस्था पर मढ़ दिया जाता
है। यदि कोई इस व्यवस्था को
सुधारने का प्रयत्न भी करता
है तो उसे यह नसीहत दे दी जाती
है कि कुछ नहीं हो सकता भाई,
यह सब तुम छोड़
दो। पर दोस्तों, यह
गलत है। यह ऐसी समस्या है कि
देश में इसे जन सामान्य लोग
ही अपने प्रयासों से बड़ा
बदलाव ला सकते हैं। यदि इसे
अभी नज़रअंदाज़ किया गया तो
यह साधारण सी समस्या कल एक
बड़ी समस्या के रूप में उभर
सकती है। अतः, आइए
हम सब प्रण करें कि हम ट्रैफिक
नियमों का पालन करेंगे और इस
देश के ज़िम्मेदार नागरिक
होने के नाते बिगड़ती ट्रैफिक
समस्या को सुधारने का पूरा
प्रयत्न करेंगे।
- ट्रैफिक नियम हम सब की सुरक्षा के लिए हैं, इनका पालन अवश्य करें।
- दफ्तर या कहीं बाहर जाने के लिए घर से थोड़ा जल्दी निकलें और धैर्य एवं सावधानी से वाहन चलाएं।
- याद रखिए कि एक दूसरे से आगे बढ़ने और खुद पहले निकलने की होड़ में वाहन चलाने से ही ट्रैफिक जाम होता है।
- हेलमेट और सीट बेल्ट हमारी सुरक्षा के लिए है, वाहन चलाते समय इनका उपयोग अवश्य करें।
- अन्य वाहन चालकों का और पैदल चलने वालों का सम्मान करें।
- वाहन संबंधी आवश्यक दस्तावेज़ हमेशा अपने पास रखें।
दोस्तों,
हमारी यह छोटी
सी पहल पूरे देश में क्रांति
ला सकती है। हम स्वयं भी प्रयत्न
करें और दूसरों को प्रोत्साहित
भी।
सुरक्षा
की सोचो तुम हर बार,
दाएं-बाएं
देखो तुम बार-बार,
रुक
जाओ यदि सुनाई पड़े कोई हॉर्न।
सदा
रखो सड़क पर अपना ध्यान,
याद
रखो तुम्हारा है एक परिवार
...
जिसकी
बसी है तुम में जान।


