Friday, 25 January 2019

गणतंत्र-देश में आत्मनिर्भरता के मायने | Hindi


गणतंत्र-देश में आत्मनिर्भरता के मायने

   -    सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर


     गणतंत्र दिवस यानी, २६ जनवरी। इस  दिन आज़ाद  भारत का  संविधान लागू किया गया था। भारतीय लोकतांत्रिक सभा ने  संविधान को २६ नवंबर १९४९  को मान्य किया था और इसे देश की  लोकतांत्रिक सरकार द्वारा  २६ जनवरी १९५०  को संविधान के  रूप में  पारित किया  गया। देश के  संविधान  को डॉक्टर  भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में बनाया गया था। 
         बदलती राजनीति, समय-समय पर देश में बदलती सरकार बदलती परिस्थितियों के चलते कई बार संविधान में देशवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए परिवर्तन भी किए गए। नए कानून नियम जोड़े तथा हटाए गए। ताकि नई कानून व्यवस्था लागू की जाए और देश का तेज़ गति से आर्थिक, सामाजिक आदि प्रकारों से विकास हो पाए।

       देश के संतुलित विकास को ध्यान में रखते हुए संविधान में संशोधन की आवश्यकता पड़ती है। इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए हाल ही में सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरी शिक्षा संस्थानों में १०% आरक्षण को मान्यता मिल गई है। प्रसन्नता की बात यह है कि देशभर की अन्य राजनीतिक पार्टीयों देश की जनता द्वारा इसे समर्थन दिया गया है। लोकसभा और राज्यसभा के बाद राष्ट्रपति द्वारा इस बिल को पारित किया गया है और जल्द ही इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।

         आरक्षण देश में हमेशा से विवादित विषय रहा है। भारत देश के लोगों में आत्मनिर्भरता का अभाव है और यह कई वर्षों अर्थात्  परतंत्र भारत के समय से देखा जा रहा है। जनता केवल अपने हित के बारे में सोच दूसरों पर आश्रित रहती है। आरक्षण भी इसी बात का एक छोटा सा उदाहरण है। इस विषय पर चर्चा करते हुए मेरे ससुर जी (श्री संजय खानवलकर ) द्वारा बहुत ही अच्छे विचार प्रकट किए गए हैं। उपरोक्त चर्चित किए गए विषय (आरक्षण के चलते देश की जनता मैं आत्मनिर्भरता का अभाव) को ध्यान में रखकर उनके विचार प्रस्तुत है।

        विचार कुछ इस प्रकार है - भारत आज़ादी के पहले अंग्रेजों की गुलामी के कारण चाहते हुए भी आत्मनिर्भर नहीं हो पा रहा था। आत्मनिर्भरशब्द बहुत छोटा है लेकिन इसके मायने बहुत बड़े हैं।  फिर देश आज़ाद हुआ लेकिन कुछ सत्ता के लालचीयों ने देश के पिछड़े और गरीब लोगों को आत्मनिर्भर नहीं होने दिया।  सिर्फ अपनी राजनीतिक आकांक्षाओंके कारण और उन्हें आरक्षण का लालच देकर कुछ राजनेताओं ने फिर उन्हें ग़ुलाम बना लिया। देश के कुछ हितकारीयों ने देश की सुध ली और देश की जनता को आत्मनिर्भर बनने के कुछ  छोटे-छोटेतरिके बताएं। परन्तु सत्ता के लालचीयों और वशंवादियों ने उसका मज़ाक उड़ाकर लोगों में भ्रम फैलाया। लोग जिनकीसोच आरक्षण और चाटुकारों की गुलाम बनचुकी थी। उन्हें ये आत्मनिर्भर होने के तरीके समझ नहीं आए। बिना आरक्षण की बैसाखी के सहारे ये कैसे आत्म-निर्भर बनेंगे??? वैसे तो सत्य है, आत्मनिर्भर होने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है। परंतु ध्यान रखने योग्य बात यह है कि सहारा, सहारा ही रहे नाकि बैसाखी बन जाए। लोगों ने इस सहारे को अपना अधिकार मान लिया है। जिसके कारण लोगों के मन से राष्ट्रवाद और अच्छे बुरे को समझने की शक्ति खत्म हो चुकी है ऐसे में आत्मनिर्भरता के क्या मायने हैं, यदि देश की जनता समझ पाए और आगे बढ़कर अपने साथ राष्ट्र को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास करें, तो ही  देश आगे प्रगति कर पाएगा। दुसरे देश भारत देश के बाद आज़ाद होकर बहुत आगे बढ़ गये क्योंकिउनके अन्दर अपने देश को विकसित बनाने की और आत्मनिर्भर होने की प्रबल इच्छा थी। ये भावना तभी उत्पन्न हो सकती है जब सभी भारतवासी देशहित को सर्वोपरी रखेंगे।

          यह उच्च विचार सुन देश की जनता को और जाग्रत करने के लिए इन चंद पंक्तियों द्वारा मेरी एक छोटी सी कोशिश-


हे इंसान नफरत ना कर इंसान से तू,

यह नफरत है बुरी जान ले इस बात को तू,

अमीरी-गरीबी का भेद छोड़ मिल जुलकर रह तू,

जाति-धर्म के झगड़े बिना भाई चारे के साथ रह तू,

भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त भारत बना तू,

तेरा, मेरा, इसका, उसका कह विवाद ना कर तू,
अपने स्वार्थ में बर्बाद ना होने दे इस देश को तू,
मातृभाषा के साथ विविध भाषियों का सम्मान कर तू,
इसकी माटी में जन्मा है रखवाला बन रक्षा कर तू,
इसकी खूबसूरत संस्कृति को संभाल कर रख तू,
सच्चा कौन है इस बात को पहचान ले तू,
यह वतन है तेरा इस बात को जान ले तू
देख क्या कह रही भारत माता की पुकार सुन ले तू,
धरती का सबसे सुंदर स्वर्ग भारत को बना सकता है तू,



जय हिंद जय भारत

वंदे मातरम्

आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं


31 comments:

  1. Wow Bhakti very nice poyam
    Narendra Edlabadkar

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  2. भक्ति , बेहतरीन अभिव्यक्ति 🌹👌🌹

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    1. धन्यवाद 😊🙏, कृपया अपना शुभ नाम भी कमेंट में लिखें।

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  3. Bahut pyara likhti ho Bhakti tum. Beautiful poem. I'm proud of you.

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  4. Hi Bhakti very nice thought and Sanjay uncle ji ne bhi theek samjha hai ki garib logon Ko aatm nirbhar nahi honey diya Gaya...SHAISHAV BHATNAGAR

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  5. Very meticulously written and concluded with a beautiful poem.. Great article

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  6. Bhakti khub chan lihite .kavita pan mast aahe

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  7. खूब छान लिहिले आहे ।कविता पणछान आहे । असेच लिहित रहा ।

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  8. खूब छान लिहिले आहे ।कविता पणछान आहे । असेच लिहित रहा ।

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  9. Good thoughts dear keep it up

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  10. Very nice dear.keep it up.Neela khanwalkar

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  11. Very Nice Bhakti ! You r really blessed, Thoughts of your Father In-law is to good. May our citizen understand their duties and make themselves self dependent as well as the Nation "हमारा महान भारत"
    Ritesh Tiwari

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  12. अत्यंत मौलिक विचार।बहुत सुंदर।
    ऐसे ही लिखती रहो।
    संजय खाण्डेकर।

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  13. Well written article, Bhakti. Keep writing...Vivek Edlabadkar

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  14. देश के लिए भक्ति आपके विचार उत्तम है आपकी यह कला पहली बार उजागर हुई
    गंधे परिवार रतलाम

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  15. देश के लिए भक्ति आपके विचार उत्तम है आपकी यह कला पहली बार उजागर हुई
    गंधे परिवार रतलाम

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