Friday, 22 February 2019

नारी एक, रूप अनेक | Hindi


नारी एक, रूप अनेक

-    सौ. भक्ति सौरभ खानवलकर


     नारी होती तो एक है, परंतु उसके रूप अनेक होते हैं। यदि इन रूपों में से कोई एक रूप भी ना हो तो जीवन में खालीपन महसूस होता है। वैसे तो आज की नारी का सफर चुनौतीभरा ज़रूर है, पर आज उसमें चुनौतियों से लड़ने का साहस गया है। अपने आत्मविश्वास के बल पर आज वह दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना रही है। आज की नारी आर्थिक मानसिक रूप से आत्मनिर्भर है। परिवार अपने करियर दोनों में तालमेल बैठाती नारी का कौशल वाकई काबिले तारीफ है। किसी को शिकायत का मौका नहीं देने वाली नारी आज अपनी काबिलीयत साहस के बूते पर कामयाबी के मुकाम तक पहुँची है। 

        चुनौतियों का हँसकर स्वागत करने वाली नारी आज हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं। कल तक भावनात्मक रूप से कमज़ोर नारी आज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं तथा अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण फैसले स्वयं कर रही हैं। अपनी क्षमताओं से महिलाओं ने आज पुरुषों को पीछे छोड़ते हुए परिवार समाज में एक अलग पहचान बनाई है। आत्मनिर्भर बनकर आज की नारी हर चुनौतियों का सामना कर रही हैं
           नारी के विभिन्न रूपों को संजोने की मेरी एक छोटी-सी कोशिश...

नारी एक मां है,
मां ममता रूपी सागर की मूर्ति है,
संसार से परिचय कराने वाली जननी है।
बेटा हो या बेटी उसकी संतान उसका गर्व है,
वह है तो संपूर्ण संसार मानो जैसे स्वर्ग है।

नारी एक बहन है,
वह मां की ही तो परछाई है,
भाई की कलाई पर सजती प्यारी-सी राखी है।
हर त्योहार को खुशियों से कर देती है हरा-भरा,
वह निर्मल बहती प्रेम की है एक धारा।

नारी दादी है तो वह नानी भी है
दादी-नानी तो संस्कारों का भंडार है
हर हट को पूर्ण करने को वह रहती तैयार है। 
इन के लिए मूल (बेटा-बेटी) से ज्यादा प्यारा ब्याज (नाती-पोते) हैं,
वो हमारा कल है तो हम उनके आज है।

नारी एक पत्नी है,
पत्नी अगर लक्ष्मी है, तो वह अन्नपूर्णा भी है,
वह जीवन भर की सखा है, तो बलिदान का रूप भी है।
छाया बन हर सुख-दुख में साथ निभाने का वादा है,
और बगैर उसके पति का संसार आधा है।

नारी एक बहू है,
बहु त्याग और समर्पण की मूर्ति है,
ससुराल में वह करती बेटी की पूर्ति है।
सब रिश्ते-नाते आसानी से लेती है संभाल,
पति संग सास-ससुर की भी करती है देखभाल।

नारी एक बेटी है,
बेटी तो नारी का हर एक रुप होती है,
जिस घर में बेटी हो वहां अधिक रौनक होती है।
बेटियां सब के नसीब में कहां होती हैं,
जिस पर ईश्वर की अधिक कृपा हो उसी घर में बेटी होती है।

किसी ने खूब कहा है-
अपने कर्तव्यों संग नारी भर रही है अब उड़ान,
ना है कोई शिकायत ना है कोई थकान,
यही है नारी की पहचान।